ऐसा क्यूँ होता है की कल तक जो आपके दुःख सुख का साथी होता है, अचानक से उसे आपकी परवाह नही होती है?
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साथ में उस के एक कुत्ता बैठा हुआ था-मैं समझ गया कि यह इस के दुःख सुख का साथी है, एक पैकेट उस के लिये भी दिया।
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दुःख-सुख का साथी ============ पहाड़ी जनजीवन में देवता सहज एवं प्राकिर्तिक रूप से उपस्तिथ है! जिस तरह घर,गाँव,जंगल,माँ बाप,भाई बहन हैं उसी तरह सहज रूप से देवता भी हैं!देवता निराकार और सूक्छ्म शरीर अवस्य है!किन्तु उनके साथ मनुष्यों के सम्बन्ध उसी तरह हैं,जैसे किसी सम्मानीय ब्यक्ति के साथ होते हैं!उसके साथ वह लड़ते भी हैं,झगड़ते भी हैं और रुठते भी हैं!अपने ग्राम देवता को वह दुःख सुख का साथी मानते है!