डॉ साहब इंदोर के सियाजी होटल में रिसेप्शन पर इंडियन टोइलेट की बाबत सुझाव पुस्तिका में अपनी राय दर्ज करते है...............इस देश के उन सभी होटले में जहाँ जहाँ वे ठहरे सुझाव पुस्तिका पर उनकी इस बाबत राय दर्ज है.....
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डॉ साहब इंदोर के सियाजी होटल में रिसेप्शन पर इंडियन टोइलेट की बाबत सुझाव पुस्तिका में अपनी राय दर्ज करते है............... इस देश के उन सभी होटले में जहाँ जहाँ वे ठहरे सुझाव पुस्तिका पर उनकी इस बाबत राय दर्ज है.....
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डॉ साहब इंदोर के सियाजी होटल में रिसेप्शन पर इंडियन टोइलेट की बाबत सुझाव पुस्तिका में अपनी राय दर्ज करते है............... इस देश के उन सभी होटले में जहाँ जहाँ वे ठहरे सुझाव पुस्तिका पर उनकी इस बाबत राय दर्ज है.....
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:) और आखिर डॉ साहब इंदोर के सियाजी होटल में रिसेप्शन पर इंडियन टोइलेट की बाबत सुझाव पुस्तिका में अपनी राय दर्ज करते है.............. रचनात्मक दृष्टिकोण से देखे तो ये विचारो में परिवर्तन है.......ओर आम भाषा में कहे.....जाने दे...हर चीज़ को कहना जरूरी तो नहीं है.... “. #**गांधी पे साडे छह सौ रुपये खर्च करते हो....”.झूठ बोलने का सबस बड़ा फायदा ये है की ये बड़ी स्ट्रेचेबल चीज़ है....कितना खीच लो...बस नुकसान ये है के याद रखना पड़ता है.....