लोकतंत्र को सुदृढ बनाना है तो विकास कार्यक्रमों की भी उतनी ही आवश्यकता है जितनी-कानूनी हतबलता को संभालने की और कुरीतियों पर प्रहार करने की | विकास कार्यक्रमों में नए और विविध पर्याय भी ढँूढने होंगे | मसलन क्या बडे बांध ही विकास हैं या छोटे बाँधोका पर्याय भी है?