| 11. | सुषिर वाद्य मुख्यतः मुँह से फूँक कर बजाये जाते है, सभी सुषिर वाद्य इसीवर्ग में आ जाते हैं.
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| 12. | यह एक ऐसा सुषिर वाद्य है जो लोक, सुगम से लेकर शास्त्रीय मंचों पर भी सुशोभित है।
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| 13. | (२) सुषिर वाद्य वह वाद्य है जो मुंह की फूंक या वायु द्वारा बजाये जातेहैं जैसे--बांसुरी, शहनाई, हारमोनियम आदि.
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| 14. | नीलगिरी की लकडि़यां आमतौर पर डेगरिडू बनाने के काम आती है, यह एक ऑस्ट्रेलियाई एबोरिजिना आदिवासियों का पारंपरिक सुषिर वाद्य है.
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| 15. | नीलगिरी की लकडि़यां आमतौर पर डेगरिडू बनाने के काम आती है, यह एक ऑस्ट्रेलियाई एबोरिजिना आदिवासियों का पारंपरिक सुषिर वाद्य है.
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| 16. | बाँसुरी अत्यंत लोकप्रिय सुषिर वाद्य यंत्र माना जाता है, क्योंकि यह प्राकृतिक बांस से बनायी जाती है, इसलिये लोग उसे बांस बांसुरी भी कहते हैं।
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| 17. | सामान्य तौर पर देखने में बाँस की, खोखली, बेलनाकार आकृति होती है, किन्तु इस सुषिर वाद्य की वादन तकनीक सरल नहीं है।
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| 18. | भारतीय संगीत के क्षेत्र में बाँसुरी के अनेक साधक हुए हैं, जिन्होने इस साधारण से दिखने वाले सुषिर वाद्य को असाधारन गरिमा प्रदान की है।
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| 19. | ब्रज क्षेत्र की आल्हा-गायकी में सारंगी के लोक-स्वरूप का प्रयोग किया जाता है, जबकि अवध क्षेत्र के आल्हा-गायन में सुषिर वाद्य का प्रयोग भी किया जाता है।
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| 20. | बाँसुरी अत्यंत लोकप्रिय सुषिर वाद्य यंत्र माना जाता है, क्योंकि यह प्राकृतिक बांस से बनायी जाती है, इसलिये लोग उसे बांस बांसुरी भी कहते हैं।
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