उभय पक्ष की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त तर्कों के प्रकाश में यह उल्लेखनीय है कि आपराधिक मामलों में यह सुस्थापित विधि है कि अभियुक्तगण के विरूद्ध लगाये गये आरोप को सभी युक्तियुक्त संदेहों से परे साबित करने का दायित्व अभियोजन पक्ष का है।
12.
यह सुस्थापित विधि है कि अधिनियम की धारा 42 के प्राबिधान आज्ञापक प्रकृति के है और यदि इस अधिनियम के प्राबिधानो का अनुपालन नही किया गया तो उसका प्रतिकूल प्रभाव अभियोजन पर पडता है परन्तु वर्तमान कि प्रकरण मे ऐसी कोई स्थिति नही है।
13.
उक्त सुस्थापित विधि की स्थिति के परिपेक्ष्य में यदि प्रस्तुत प्रकरण का अवलोकन किया जायें तो यह स्वीकृत हैं कि आरोपी क्र0-1 द्वारा परिवादी को उक्त चैक उसे भूमि दिलाने के संबंध परिवादी द्वारा दी गई राशि की वापसी के भुगतान हेतु दिया गया था।