लेकिन कभी-कभी मुझे लगता है कि अगर हम वाकई समाज में कोई बदलाव चाहते हैं उसकी सूरत बदलना चाहते हैं तो इसे बहुत सारे खांचों में बांट कर नहीं देख सकते।
12.
लौंडियां भी सूरत बदलने और खिदमत करने के लिए भेज दी हैं क्योंकि आपकी लौंडियों की सूरत बदलना ठीक न होगा और लश्कर में लौंडियों की कमी से लोगों को शक हो जायेगा।
13.
बाबा, देशवासियों की समझ में यह नहीं आ रहा कि दरहकीकत आप चाहते क्या हैं? “ सूरत बदलना चाहते हैं या केवल हंगामा खडा करना चाहते हैं? ” सूरत बदलने की राह तो नज़र नहीं आ रही, हंगामा ही उठता दिख रहा है देश भर में....
14.
ऐयारों के सम्बन्ध में खत्री जी ने ‘ चन्द्रकान्ता ' की भूमिका में लिखा है-राजदरबारों में ऐयार भी नौकर होते थे जो कि हरफनमौला, यानी सूरत बदलना, बहुत-सी दवाओं का जानना, गाना-बजाना, दौड़ना, अस्त्र चलाना, जासूसों का काम करना, वगैरह बहुत-सी बातें जाना करते थे।
15.
प्रथम संस्करण से आज तक हिन्दी उपन्यास में बहुत से साहित्य लिखे गये हैं जिनमें कई तरह की बातें व राजनीति भी लिखी गयी है, राजदरबार के तरीके एवं सामान भी जाहिर किये गये हैं, मगर राजदरबारों में ऐयार (चालाक) भी नौकर हुआ करते थे जो कि हरफनमौला, यानी सूरत बदलना, बहुत-सी दवाओं का जानना, गाना-बजाना, दौड़ना, अस्त्र चलाना, जासूसों का काम देना, वगैरह बहुत-सी बातें जाना करते थे।