ऐसा नहीं है कि परमेश्वर किसी को सूर्य की ज्योति ज्यादा देता है तो किसी को कम।
12.
पहला नेत्र धरती है, दूसरा आकाश और तीसरा नेत्र है बुद्धि के देव सूर्य की ज्योति से प्राप्त ज्ञान-अग्नि का।
13.
हे अर्जुन! दीपक व सूर्य की ज्योति से खाट की छाया मनुष्य की देह पर पड़े तो दोष है।
14.
यह प्रतिबिम्ब अपने किस्म की एकमात्र अक्सी तसवीर है जिसमें, पूर्णत: सूर्य की ज्योति से प्रकाशित पृथ्वी की एक गोलार्द्ध प्रर्दशित है.
15.
सूर्य की ज्योति बा रूप में और सूर्य से प्रजनित अग्नि सृष्टि की आंतरिक शक्ति के रूप में सृष्टि क्रम को चलाती है।
16.
जापान सम्राट मेईजी की वे कवितायें सुप्रसिद्ध है, जिसमें उन्होंने जापान की आत्मा का सूर्य की ज्योति के रूप में चित्रण किया है ।।
17.
तभी जनक ने जिज्ञासावश महर्षि याज्ञवल्क्य से प्रश्न किया, '' महर्षि, हम किसकी ज्योति से देखने की सामर्थ्य प्राप्त करते हैं? ' महर्षि बोले, '' सूर्य की ज्योति से।
18.
फिर भी परमेश्वर अपनी स्नेह भरी बाहों में हमें लगाता है, और हम पर सूर्य की ज्योति चमकाता है, और हमें हरियाली का एहसास देता है, और हमें ताजा हवा देता है।
19.
एक प्राचीन कविसमय के अभिप्राय की नई उदभावना की गई है कि, प्रभु के चरणों के नखों में सूर्य की ज्योति का प्रकाश है, वहाँ रात की कोई सम्भावना नहीं, वहाँ समस्त द्वन्द्वों की विश्रान्ति है।
20.
एक प्राचीन कविसमय के अभिप्राय की नई उदभावना की गई है कि, प्रभु के चरणों के नखों में सूर्य की ज्योति का प्रकाश है, वहाँ रात की कोई सम्भावना नहीं, वहाँ समस्त द्वन्द्वों की विश्रान्ति है।