इसमें ब्राह्म पर्व, जो सूर्य संबंधी विभिन्न आख्यानों और वार्ताओं से भरा हुआ है, सूत और शौनक के संवाद से प्रारंभ होता है, किंतु संप्रति उपलब्ध भविष्य पुराण की प्रतियों के अवलोकन से पता चलता है कि इसमें न तो कहीं ब्रह्मा और मनु का संवाद ही है और न पांच पर्व ही।