| 11. | रूप है चाँद सा, रूप है सूर्य सा रूप तारों सा है झिलमिलाता हुआ
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| 12. | अनहद नाद के साथ हजारों दीपों का सूर्य सा प्रकाश अंतर को आलोकित कर गया होगा।
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| 13. | हे परमपिता सूर्य सा तेज वायु सा वेग गंगा सा निर्मल ज्ञान का सागर प्रदान करो ।
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| 14. | लाखों में कोई एक ही चमका है सूर्य सा कहने को, कहने वाले मिलेंगे ग़ज़ल अनेक
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| 15. | विश्व रुपी इस गगन मे, सूर्य सा चमकना है हमे, आगे बढना है हमे, अब आगे बढना है हमे ।
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| 16. | शौर्य सूर्य सा शाश्वत रहे, धार प्रीत बन गंगा बहे, जन्म ले जो तुझे माँ कहे, देव-भू पुण्य है भारती.
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| 17. | उर्वशी ने उसे मूंगे की एक खदान में गिरा दिया तो उससे सूर्य सा तेजस्वी एवं मूंगे के समान लाल शरीर वाले मंगल पैदा हुए।
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| 18. | शौर्य सूर्य सा शाश्वत रहे, धार प्रीत बन गंगा बहे,जन्म ले जो तुझे माँ कहे,देव-भू पुण्य है भारती.भारती भारती भारती,आज है तुमको पुकारती.
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| 19. | वंदे मातरम के उद्घोष से व्यक्ति व्यक्ति का रोम रोम प्रफुल्लित हो जो मस्तक पर सूर्य सा तेज़ और बाजुओ मे लोह का दम भर दे....
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| 20. | सूर्य सा दीप्त हो या सुघर चाँद सा रूप तो एक अभिव्यक्ति है धूल की किन्तु जिससे महकता समय का सफर प्यार वह गंध है आयु के फूल की॥
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