उस सम्मेलन का उद्देश्य प्रदेश में किसी प्रकार के निवेश को आमंत्रित करने की बजाय संबंधों का एक ऎसा सशत सेतु बनाना था जिस पर चलकर प्रवासी राजस्थानी अपनी माटी से निरन्तर जुड़े रहें।
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आज जो शरीर विरोधी अनेक मान्यताये और संप्रदाय है शायद उनको थोडा भी समजे तो शरीर पार की यात्रा शरीर से ही की जा सकती है, शरीर को एक सेतु बनाना है न कि सेतु को तोडना है, नष्ट करना है. धन्वाद. जय ओशो.