[22] और बीरसा के भगवान होने की बात सेमल की रुई की तरह चारों ओर फैल जाती है।
12.
सरई के पत्ते की चोंगी में उसने माखुर भरी, टेंट से चकमक पत्थर निकाला, बीच में सेमल की रुई अटकाई और पत्थरों को रगड़ा ही थी कि भक्क से आग जल गई-दो चार सुट्टे लिए ही होंगे कि उसकी कुंडलिनी जाग्रत हो गई।