शायद यह भेद हो कि निफ़ाक़ (दिल में कुछ ज़बान पर कुछ), दोस्ती और काफ़िरों से मेल जोल का अंजाम इरतेदाद (इस्लाम से फिर जाना) है।
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पिछले दस दिन तो और भी व्यस्त थे, तारिख 2 मार्च से मैंने अंततः जिम ज्वाइन कर लिया, 4 को बीमार पड़ गया..... आज से फिर जाना शुरू करूँगा.... देखते है....
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(و َ الل ّ ه ُ أ َ ع ْ ل َ م ُ ب ِ الظ ّ َ ال ِ م ِ ين َ) ईमान से फिर जाना और सज़ा पाने के लिये जल्दी मचाना, ज़ुल्म है।
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दूसरे यह कि वह अपने ज़अमे नाक़िस में (ना समझी मेे) यह समझ लेता है कि वह मुस्तक़बिल (भविष्य) के हालात से मुत्तला (सूचित) हो कर अपने नफ़अ व नुक़्सान (लाभ व हानि) को जान सकता है, तो वह अल्लाह कि तरफ़ रुजूउ (आकृष्ट) होने और उस मदद चाहने में अपने को बेनियाज़ (बेपर्वाई) और उस के मुक़ाबिले में खुद एतिमादी (अंह भाव) एक तरह का ज़िन्दिक़ा व इल्हाद (नास्तिकता एंव धर्म से फिर जाना) है।