कहते हैं अल डोराडो की कथा उस कहानी से शुरू हुई जिसमें कहा गया था कि एक दक्षिण अमेरिकी कबीले का मुखिया स्वयं को सोने की धूल से लपेट लेता था, उसे देख ऐसा प्रतीत होता था मानो वे सोने का ही बना हो।
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अल कारनेरो ' में लिखा है कि म्युस्किा का मुख्य पादरी या सम्राट को एक धार्मिक अनुष्ठान के चलते सोने की धूल से पूरी तरह ढक दिया जाता था यानी उसके पूरे शरीर में सोने की धूल मल दी जाती थी व यह धार्मिक अनुष्ठान गुआटाविटा झील (आज के शहर बोगोटा के निकट) के पास हुआ था।
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अल कारनेरो ' में लिखा है कि म्युस्किा का मुख्य पादरी या सम्राट को एक धार्मिक अनुष्ठान के चलते सोने की धूल से पूरी तरह ढक दिया जाता था यानी उसके पूरे शरीर में सोने की धूल मल दी जाती थी व यह धार्मिक अनुष्ठान गुआटाविटा झील (आज के शहर बोगोटा के निकट) के पास हुआ था।
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अकॉर्डियन पर कोई धुन बजाता है, घूम जाता है, पुराने चिरमिखी बटुये से सोने की धूल छिटक पड़ती है, दिन बीतता है रात आती है, कुहासे में कोई महीन चीख कौंधती है, गुम होता है मन, छाती डूब डूब डूबती है, पूरे भरे तालाब में जैसे एक, सिर्फ एक कमल का फूल, गुम जाता है धुँध में, पानी से उठता है जाने क्या?