1970 के दशक के अंत में, गल्फ अफ्रीका में एक सोवियत गुट के शासन को आर्थिक सहायता दे रही थी जबकि अमेरिकी सरकार जोनास साविम्बी के नेतृत्व में यूनिटा विद्रोहियों को समर्थन दकर उस शासन को उखाड़ फेंकने का प्रयास कर रही थी.
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1985 में जब गोर्बाचोव ने तत्कालीन सोवियत संघ का शासन संभाला, तो बदलाव की जैसे आंधी-सी चल पड़ी, जिसने पश्चिमी यूरोप और सोवियत गुट वाले देशों के बीच के बीच की लौह-दीवार (आयरन कर्टन) को हमेशा के लिए गिरा दिया और इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत की.