जिनकी हथेली में चन्द्र पर्वत विकसित होता है वे सौन्दर्योपासक होते हैं इनका हृदय कोमल और संवेदनशील होता है।
12.
अज्ञेय जी के लिए यह विचार लगातार उछाला गया है कि वे नयी कविता के सौन्दर्योपासक परम सन्त हैं और उनका सन्त फ्रायड तथा हाइडेगर के प्रभाव से भी ज्यादा कालिदास की प्रकृति-चेतना से चैतन्यता पाता है।
13.
क्या प्रसाद का कवि मूलतः भोगी था, जिसे योगी बनाते-बनाते वह टूट गये? क्या प्रसाद का मन विशुद्ध सौन्दर्योपासक था, जिसे कल्याणी करुणा और समरसता न पची और वह बिखर गया? प्रसाद के गन्धर्व-सुन्दर तन को शिव का मृत्युंजय मन रास नहीं आया?...