हाथ से बनी एक जैसी दो सपाट तस्वीरों में गहराई यानी थ्री डी का भ्रम पैदा करनेवाली सबसे पहली मशीन यानी ‘ स्टीरियोस्कोप ' ब्रिटिश वैज्ञानिक सर चाल्र्स व्हीटस्टोन ने 1838 में बनायी थी।
उन्होंने थोड़ी दूर पर रखी एक जैसी दो तस्वीरों के प्रतिबिंब बीच में 45 डिग्री के कोण पर रखे दो दर्पणों में लेने की कुछ ऐसी व्यवस्था की थी कि उसमें देखने पर वे दो तस्वीरें थ्री डी प्रभाव के साथ एक दिखाई पड़ती थीं, लेकिन सर व्हीटस्टोन का यह स्टीरियोस्कोप व्यावहारिक नहीं था।