वात्स्यायन का कामसूत्र स्त्री राज्य के अंत: पुर में पुरुषों के होने की व्यवस्था का वर्णन करता हैं-ग्रामनारीविषये स्त्रीराज्ये च युवानांअंतपुरसधर्माणा एकैकस्या: परिग्रहभूता: ।
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कौटिल्य नें जिस तरह से कांतार में स्त्री राज्य का उल्लेख किया है उसके अनुसार यह प्रतीत होता है कि दक्षिण से उत्तर की ओर लाये जाने वाले माणिक्यों को इस राज्य से हो कर गुजरना पडता था।
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वस्तुत: कांतार के स्त्रीराज्य होने का विवरण सर्वप्रथम महाभारत में ही मिलता है जहाँ शांति पर्व में उल्लेख है कि कलिंग के राजा की पुत्री चित्रांगदा के स्वयंवर के अवसर पर स्त्री राज्य के अधिपति सुग्गल भी आये थे-सुग्गलश्च महाराज: स्त्री राज्याधिपतिश्च य: ।
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“ जाग मछन्दर गोरख आया ” सांची बात कही आर्य, ब्लॉगिंग की बढती हुई प्रसिद्धि को देखते हुए इस तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं कि ब्लॉगर उधर ही फ़ंस जाते हैं, जैसे विश्वामित्र मेनका के झांसे में आ गए, जैसे मछन्दरनाथ स्त्री राज्य में फ़ंस गए थे।