स्थान-निर्धारण के बिना नराशंस के उत्पत्ति-स्थान का ज्ञान भी असम्भव है, इसलिए नराशंस के स्थान के विषय में कुछ न कुछ विचार प्रस्तुत करना आवश्यक ही है।
12.
नियंत्रण का आंतरिक स्थान-निर्धारण करनेवालाछात्र यदि कम अंक पाता है, तो बहुत करके वह इसका कारण अपनी ओर से विषय मेंरुचि का अभाव, भुलक्कड़पन, ध्यान कहीं और होना बताएगा।
13.
संकल्पात्मककार्यों के नियंत्रण का आंतरिक या बाह्य स्थान-निर्धारण, जिसके सकारात्मकऔर नकारात्मक, दोनों ही तरह के सामाजिक परिणाम निकलते हैं, शिक्षा तथापालन की प्रक्रिया में विकास करनेवाली स्थिर चरित्रगत विशेषता है ।
14.
इसका उद्देश्य खनिज, पेट्रोलियम, जल, घात्विक निक्षेप, विखंडनीय पदार्थो (fissile material) का स्थान-निर्धारण और बाँध, रेलमार्ग, हवाई अड्डों, सैनिक और कृषि प्रायोजनाओं के निर्माणार्थ सतह के निकटस्थ स्तर के भूवैज्ञानिक लक्षणों से आँकड़ों का संग्रह है।
15.
अनुसंधानों ने दिखाया है कि ऐसीबाह्य स्थान-निर्धारण की प्रवृत्ति का कारण चरित्र के उत्तरदायित्वहीनता (irresponsibility), अपनी योग्यताओं में विश्वास का अभाव, दुश्चिंता, इरादों का क्रियान्वयनस्थगित करने की आदत, आदि लक्षण होते हैं।
16.
उनका स्थान-निर्धारण इस तरह करें कि, थोड़ी दूर से उन्हें देखने पर, एक अल्पश्रव्य ध्वनि गूंजे, जो मुख्य घटनाओं की मूल ध्वनि का अहसास करा दे और इस तरह पाठक अपनी तरफ़ से उन मुख्य घटनाओं का अंदाज़ा लगा ले।
17.
लोग अपने कामों के लिए किसे उत्तरदायी (responsible) ठहराते हैं (मनोविज्ञान में इसे ‘ नियंत्रण का स्थान-निर्धारण ', ‘ कन्ट्रोल लोकेलाइज़ेशन ' कहा जाता है), इसके अनुसार उन्हें दो कोटियों मेंबांटा जा सकता है।
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उनका स्थान-निर्धारण इस तरह करें कि, थोड़ी दूर से उन्हें देखने पर, एक अल्पश्रव्य ध्वनि गूंजे, जो मुख्य घटनाओं की मूल ध्वनि का अहसास करा दे और इस तरह पाठक अपनी तरफ़ से उन मुख्य घटनाओं का अंदाज़ा लगा ले।
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इसका उद्देश्य खनिज, पेट्रोलियम, जल, घात्विक निक्षेप, विखंडनीय पदार्थो का स्थान-निर्धारण और बाँध, रेलमार्ग, हवाई अड्डों, सैनिक और कृषि प्रायोजनाओं के निर्माणार्थ सतह के निकटस्थ स्तर के भूवैज्ञानिक लक्षणों से आँकड़ों का संग्रह है।
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इस योजना में इन लक्ष्य को अंतः संबंधित नीति निर्धारित करके पूरा करना हैजिसमे भूमि उपयोग, व्यवस्थापन पद्धति, पर्यावरण और परिस्थितिकी कारख रखाव, उद्योगो, व्यापार और वाणिज्य संगठनों के लिये स्थान-निर्धारण, सरकारीतथा सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यालयों के लिये स्थान-निर्धारण और क्षेत्रीय तथा स्थानीय आधारिकसंरचना के विकास से संबंधित नीति शामिल है.