(क) एक बीमाकृत व्यक्ति, जो रोजगार चोट (व्यावसायिक रोग सहित) के परिणामस्वरूप और अर्जन क्षमता की हानि के परिणामस्वरूप स्थायी अशिष्ट अपंगता से पीड़ित है, को स्थायी अपंगता हितलाभ देय होगा ।
12.
स्थायी अपंगता हितलाभ: चिकित्सा बोर्ड द्वारा प्रमाणित अर्जन क्षमता की हानि की सीमा पर निर्भर यह हितलाभ मासिक भुगतान के रूप में मजदूरी के 90% की दर से अदा किया जाता है ।
13.
(घ) स्थायी अपंगता हितलाभ का संराशीकरण (विनियम 76-ख): जिस बीमाकृत व्यक्ति के स्थायी अपंगता हितलाभ का अंतिम निर्धारण हो चुका है और जिसे यह रूपये 1.50 प्रतिदिन से कम की दर से दिया गया है तो वह स्थायी अपंगता हितलाभ के आवधिक भुगतान का संराशीकरण कर एकमुश्त देने के लिए आवेदन कर सकता है ।
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(घ) स्थायी अपंगता हितलाभ का संराशीकरण (विनियम 76-ख): जिस बीमाकृत व्यक्ति के स्थायी अपंगता हितलाभ का अंतिम निर्धारण हो चुका है और जिसे यह रूपये 1.50 प्रतिदिन से कम की दर से दिया गया है तो वह स्थायी अपंगता हितलाभ के आवधिक भुगतान का संराशीकरण कर एकमुश्त देने के लिए आवेदन कर सकता है ।
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(घ) स्थायी अपंगता हितलाभ का संराशीकरण (विनियम 76-ख): जिस बीमाकृत व्यक्ति के स्थायी अपंगता हितलाभ का अंतिम निर्धारण हो चुका है और जिसे यह रूपये 1.50 प्रतिदिन से कम की दर से दिया गया है तो वह स्थायी अपंगता हितलाभ के आवधिक भुगतान का संराशीकरण कर एकमुश्त देने के लिए आवेदन कर सकता है ।
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(ग) स्थायी अपंगता हितलाभ दर: स्थायी अपंगता हितलाभ दर चिकित्सा बोर्ड/चि.अ.अ./अ.अ.हि. के संबंध में कर्मचारी बीमा न्यायालय द्वारा निर्धारित अर्जन क्षमता की हानि की प्रतिशतता अनुसार निकाली जाएगी । क.रा.बी. अधिनियम 1948 की दूसरी अनुसूची में चोटों की सूची दी गई है जिसके परिणामस्वरूप स्थायी पूर्ण अपंगता और अर्जन क्षमता की हानि की प्रतिशतता पूर्वदर्शित की गई है ।
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(ग) स्थायी अपंगता हितलाभ दर: स्थायी अपंगता हितलाभ दर चिकित्सा बोर्ड/चि.अ.अ./अ.अ.हि. के संबंध में कर्मचारी बीमा न्यायालय द्वारा निर्धारित अर्जन क्षमता की हानि की प्रतिशतता अनुसार निकाली जाएगी । क.रा.बी. अधिनियम 1948 की दूसरी अनुसूची में चोटों की सूची दी गई है जिसके परिणामस्वरूप स्थायी पूर्ण अपंगता और अर्जन क्षमता की हानि की प्रतिशतता पूर्वदर्शित की गई है ।