| 11. | क्रोध की भावदशा में नहीं, 'बैर' नामक उसकी स्थायी दशा में ही आयँगी।
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| 12. | इसके अतिरिक्त प्रत्येक भाव एक ही आलम्बन के प्रति स्थायी दशा को प्राप्त
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| 13. | स्थायी दशा के बीच-बीच में मूल स्वरूप के इस स्थिति काल को हम
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| 14. | अनिष्टकारी के संबंध में यदि क्रोध स्थायी दशा को प्राप्त होगा तो समय-समय
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| 15. | जैसा कहा जा चुका है-प्रत्येक ' भाव' स्थायी दशा को प्राप्त हो सकता है
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| 16. | स्थायी दशा को विरूद्ध या अविरूद्ध कोई भाव संचारी रूप में आकर तिरोहित
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| 17. | प्रादुर्भाव या तो स्वतंत्र रूप में होता है अथवा भय की स्थायी दशा में;
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| 18. | धारणा, बुद्धि आदि के ये व्यापार 'भाव' की स्थायी दशा में ही होते हैं,
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| 19. | स्थायी दशा का संचारी होकर बराबर आया करेगा ठीक उसी प्रकार जैसे ' भाव' के
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| 20. | स्थायी दशा का अनुसंधान करने में हमें एक दूसरी ही कोटि का स्थायित्व मिलता
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