किंतु, सूक्ष्म प्रत्यय एवं स्थूल वस्तु में यौक्तिक विरोध होने के कारण, उसे दोनों को संबद्ध करने के लिए किसी बीच की कड़ी की जरूरत थी।
12.
संयम का प्रयोग पहले स्थूल वस्तु पर करना चाहिए, और जब स्थूल ज्ञान प्राप्त होने लगे, तब थोडा-थोडा करके सूक्ष्मतम् वस्तु पर प्रयोग करना चाहिए ।
13.
ध्यान करने पर जब मन स्थूल वस्तु पर केन्द्रित हो जाए, तब मन को सूक्ष्म पर केन्द्रित करना चाहिए और फिर अतिसूक्ष्म पर मन को केन्द्रित करना चाहिए।
14.
वितर्कानुगत समाधि-सूर्य, चन्द्र, ग्रह या राम, कृष्ण आदि मूर्तियों को, किसी स्थूल वस्तु या प्राकृतिक पंचभूतों की अर्चना करते-करते मन को उसी में लीन कर लेना वितर्क समाधि कहलाता है।
15.
सूर्य, चन्द्र, ग्रह, राम, कृष्ण आदि मूर्तियों, किसी स्थूल वस्तु या प्राकृतिक पंचभूतों की अर्चना करते-करते मन को उसी में लीन कर लेना वितर्कानुगत समाधि कहलाता है।
16.
सवाल यह उठता है कि वक्तव्य पुस्तक या उसकी ही जैसी कोई स्थूल वस्तु है क्या कि उठायी और रख दी? सही प्रयोग यह है कि-उन्होंने अपने विचार व्यक्त किये।
17.
-वितर्कानुगत समाधि-सूर्य, चन्द्र, ग्रह या राम, कृष्ण आदि मूर्तियों को, किसी स्थूल वस्तु या प्राकृतिक पंचभूतों की अर्चना करते-करते मन को उसी में लीन कर लेना वितर्क समाधि कहलाता है।
18.
जड स्थूल वस्तु परिणामी नित्य होती है अर्थात् इसमें निरन्तर परिवर्तन होता रहता है यह एक पल भी बिना परिवर्तन के नहीं रहती इसमें यह परिवर्तन चेतन द्वारा प्राप्त प्रेरणा के अनुसार होता है ।
19.
जब समाधि में चिंतन व मनन स्थूल वस्तु पर किया जाता है, तो उसे निर्वितर्क समाधि कहते हैं तथा जब चिंतन व मनन किसी सूक्ष्म वस्तु पर किया जाता है, तो निर्विचार समाधि कहलाता है।
20.
यह स्थूल वस्तु है जो ठीक सम्यक रीति से विचार करने की कला से परिचित है, वह अपने भाग्य, दृष्टिकोण, वातावरण को परिवर्तित कर सकता है, जो उचित रीति से विचार बोना जानता है, विचार बीजों का पारखी है।