| 11. | मानुष अमानुष गंध बसे देव स्वजन...!
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| 12. | दूरस्थों को भी करवाया है स्वजन समीपस्थ तुमने।
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| 13. | भीति समझकर स्वजन की, मंत्री जो कमज़ोर ।
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| 14. | घर के स्वजन हमारे जेते सबन्ह उपाधि बढ़ाई।
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| 15. | समझें स्वजन इक-दूसरे के मन-हृदय की भावना!
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| 16. | दूरस्थों को भी करवाया है स्वजन समीपस्थ तुमने।।
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| 17. | हुआ हो गए स्वजन सब ही अशोक,
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| 18. | स्वजन और परिजन आपसे सलाह लेकर उपकृत होंगे।
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| 19. | उनके किसी स्वजन को भी दे सकते हैं।
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| 20. | स्वजन भी मन में हंसने लगे हैं।
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