लेकिन इन सबके बावजूद अगर हम अपने शरीर को अपनी नज़र से नहीं देख पातीं, अपने पैसे खर्च करने के फैसले अपने स्वतंत्र विवेक से नहीं ले पातीं तो हमारी आजादी अधूरी है।
12.
21. प्रखर और सजीव आध्यात्मिकता वह है, जिसमें अपने आपका निर्माण दुनिया वालों की अँधी भेड़चाल के अनुकरण से नहीं, वरन् स्वतंत्र विवेक के आधार पर कर सकना संभव हो सके ।
13.
वे कार्यकर्ता निश्चित प्रतिनिधि के पक्ष में जो आवश्यक जानकारी है, उसे सर्वसाधारण को समझायें और अपने स्वतंत्र विवेक का उपयोग कर बिना किसी दबाव, लोभ या बहकावे में आयें, विशुद्ध देश भक्ति की भावना से वोट देने के लिए तैयार करें।
14.
उपन्यास ' वर्चस्व' में नारी सशक्तिकरण की इस सदी में पुरुषों का अपनी पत्नी पर वर्चस्व, पत्नी के अपने स्वतंत्र विवेक और इच्छा के बीच के संघर्ष, उसके साथ न्यायपालिका की ओर भी बढने की चेष्ठा करते भ्रष्टाचार के घृणित पंजे और उसके निर्ममतापूर्वक मचोड़ दिए जाने के दृढ़ संकल्प के संघर्ष को चित्रित किया गया है।
15.
स्वतंत्र विवेक को लोग खो बैठे हैं, अनुपयुक्त ढर्रे की लकीर पर अपना जीवन रथ चला रहे हैं, फिर वह चाहे दुर्गति के गर्त में गिरने ही क्यों न जा रहा हो? आज की भावनात्मक, नैतिक और सामाजिक परिस्थितियों के मूल में लगता है अमूर्त रावण का ही आतंक राज्य प्रतिष्ठापित हो रहा है।
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उपन्यास ' वर्चस्व ' में नारी सशक्तिकरण की इस सदी में पुरुषों का अपनी पत्नी पर वर्चस्व, पत्नी के अपने स्वतंत्र विवेक और इच्छा के बीच के संघर्ष, उसके साथ न्यायपालिका की ओर भी बढने की चेष्ठा करते भ्रष्टाचार के घृणित पंजे और उसके निर्ममतापूर्वक मचोड़ दिए जाने के दृढ़ संकल्प के संघर्ष को चित्रित किया गया है।
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उपन्यास ' वर्चस्व ' में नारी सशक्तिकरण की इस सदी में पुरुषों का अपनी पत्नी पर वर्चस्व, पत्नी के अपने स्वतंत्र विवेक और इच्छा के बीच के संघर्ष, उसके साथ न्यायपालिका की ओर भी बढने की चेष्ठा करते भ्रष्टाचार के घृणित पंजे और उसके निर्ममतापूर्वक मचोड़ दिए जाने के दृढ़ संकल्प के संघर्ष को चित्रित किया गया है।
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यहां तो क्रिकेट के खिलाड़ी, ठग प्रवचनकारी, फिल्मी एक्टर तक ‘भगवान' और ‘महान' बना दिये जाते हैं तो सफल क्रांति के नायकों के पुजारियों से पैदा होने वाली निरंकुश व्यक्ति-शाही की आशंका उन लेखकों-नागरिकों को डरा सकती है, जो अपना स्वतंत्र विवेक और विचार रखते हैं और जिसके बने रहने की गारंटी १९४८ का संयुक्त राष्ट्र का घोषणापत्र भी देता है।
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यहां तो क्रिकेट के खिलाड़ी, ठग प्रवचनकारी, फिल्मी एक्टर तक ‘ भगवान ' और ‘ महान ' बना दिये जाते हैं तो सफल क्रांति के नायकों के पुजारियों से पैदा होने वाली निरंकुश व्यक्ति-शाही की आशंका उन लेखकों-नागरिकों को डरा सकती है, जो अपना स्वतंत्र विवेक और विचार रखते हैं और जिसके बने रहने की गारंटी १ ९ ४ ८ का संयुक्त राष्ट्र का घोषणापत्र भी देता है।
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जिस दिन व्यक्ति की अंतः भूमिका यह स्वीकार कर ले कि मानव जीवन का उद्देश्य पेट पालने और बच्चे उगाने से कुछ आगे बढ़कर भी है, यह अलभ्य अवसर किन्हीं महान प्रयोजन के लिए भगवान् ने दिया है और थोड़ा दुस्साहस कर अपने स्वतंत्र विवेक का सहारा लेकर कोई भी व्यक्ति अपनी विचारणा और प्रक्रिया को बदलने में वैसा ही समर्थ हो सकता है, जैसे कि ऐतिहासिक महापुरुष समर्थ हुए हैं।