स्वनिमिक, रूपिमिक और वाक्य स्तर पर भाषा का विश्लेषण प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण कार्य जितना पुस्तकें लिखकर किया गया है, उससे कहीं अधिक भाषाविज्ञान से संबंधित अमरीकी पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों से हुआ है।
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स्वनिमिक, रूपिमिक और वाक्य स्तर पर भाषा का विश्लेषण प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण कार्य जितना पुस्तकें लिखकर किया गया है, उससे कहीं अधिक भाषाविज्ञान से संबंधित अमरीकी पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों से हुआ है।
13.
कोरियाई भाषा में स्वर मात्रा स्वनिमिक नहीं हैं जबकि हिन्दी में अग्र एवं पश्चदोनो उच्च स्वरों के साथ मात्रा अर्थ भेदक प्रकार्य करती हैं और इ, ई, उ, ऊ हिन्दीके चार अलग स्वर स्वनिम हैं.
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कोरियाई भाषा में स्वर मात्रा स्वनिमिक नहीं हैं जबकि हिन्दी में अग्र एवं पश्चदोनो उच्च स्वरों के साथ मात्रा अर्थ भेदक प्रकार्य करती हैं और इ, ई, उ, ऊ हिन्दीके चार अलग स्वर स्वनिम हैं.
15.
चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श व्यंजन हैं जिनमें घोषत्व एवं प्राणत्व जैसे दो स्वनिमिक अभिलक्षणों द्वारा चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श स्वनिम प्राप्त होते हैं-इन चारो के लिए प्रयुक्त देवनागरी वर्णमाला के चार वर्ण यहां दिए गए हैं।
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चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श व्यंजन हैं जिनमें घोषत्व एवं प्राणत्व जैसे दो स्वनिमिक अभिलक्षणों द्वारा चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श स्वनिम प्राप्त होते हैं-इन चारो के लिए प्रयुक्त देवनागरी वर्णमाला के चार वर्ण यहां दिए गए हैं।
17.
स्वनिमिक स्तर पर (फ्होनोलोगिचल्, लेवेल्, इ. ए. अट् ट्हे ङुन्च्टिओनल् लेवेल्)-अर्थात् प्रकार्य की दृष्टि से यह देखना आवश्यक है कि दोनों भाषाओं में समानअथवा असमान रूप से उच्चारित ध्वनियां क्या प्रकार्यात्मक (ङुन्च्टिओनल्) रूप से भीसमान हैं या नहीं.
18.
स्वनिमिक स्तर पर (फ्होनोलोगिचल्, लेवेल्, इ. ए. अट् ट्हे ङुन्च्टिओनल् लेवेल्)-अर्थात् प्रकार्य की दृष्टि से यह देखना आवश्यक है कि दोनों भाषाओं में समानअथवा असमान रूप से उच्चारित ध्वनियां क्या प्रकार्यात्मक (ङुन्च्टिओनल्) रूप से भीसमान हैं या नहीं.