इन दृष्टियों से नीतिशास्त्र के नियम स्वास्थ्यविज्ञान के नियमों के पूर्णतया समान होते हैं।
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इन दृष्टियों से नीतिशास्त्र के नियम स्वास्थ्यविज्ञान के नियमों के पूर्णतया समान होते हैं।
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स्वास्थ्य के संवर्धन, संरक्षण तथा पुन: स्थापन का ज्ञान स्वास्थ्यविज्ञान द्वारा होता है।
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ये स्वास्थ्यविज्ञान, आहारनियम, विरेचन, वस्तिकर्म आदि पर ध्यान देते थे, परंतु ये पर्याप्त सफल नहीं हुए।
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ये स्वास्थ्यविज्ञान, आहारनियम, विरेचन, वस्तिकर्म आदि पर ध्यान देते थे, परंतु ये पर्याप्त सफल नहीं हुए।
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स्वास्थ्यविज्ञान में विभिन्न रोगों के लक्षण और उनसे बचने के उपाय तथा औषधियों की ओर संकेत मिलता है।
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ये स्वास्थ्यविज्ञान, आहारनियम, विरेचन, वस्तिकर्म आदि पर ध्यान देते थे, परंतु ये पर्याप्त सफल नहीं हुए।
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मातृत्व स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, पाठशाला स्वास्थ्य, व्यावसायिक स्वास्थ्य, सैनिक स्वास्थ्य, जरावस्था, संक्रामक और अन्य रोगों की रोकथाम, रोगचिकित्सा, जल, भोजन और वायु की स्वच्छता, परिवेश स्वास्थ्य आदि स्वास्थ्यविज्ञान के महत्वपूर्ण अंग है।
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मातृत्व स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, पाठशाला स्वास्थ्य, व्यावसायिक स्वास्थ्य, सैनिक स्वास्थ्य, जरावस्था, संक्रामक और अन्य रोगों की रोकथाम, रोगचिकित्सा, जल, भोजन और वायु की स्वच्छता, परिवेश स्वास्थ्य आदि स्वास्थ्यविज्ञान के महत्वपूर्ण अंग है।
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त्रों में होता है और दूसरी ओर स्वास्थ्यविज्ञान, तर्कशास्त्र आदि आदर्शान्वेषी विज्ञानों के नियमों का, जिनसे वह बाध्य तो नहीं होता, पर जिनका पालन उसके सुख तथा उन्नति के लिए आवश्यक है।