नए कैदियों में एक साठ वर्ष का हट्टा-कट्टा आदमी, जिसके दाढ़ी-बाल खूब छंटे हुए थे, अपनी रामकहानी यों सुना रहा था!
12.
वह पैंतीस साल का हट्टा-कट्टा आदमी मुझे और रानी को सिर्फ़ चार-छ: झापड़ मारकर ठीक कर सकता था लेकिन उसने हमसे कभी ऊँची आवाज़ में भी बात की हो, मुझे याद नहीं आता.
13.
आगे राह में उसने देखा के एक हट्टा-कट्टा आदमी बदहवास सा भागा जा रहा है! बार पीछे मुड़-मुड़ कर देखता जाता और दौड़ता जाता!पता लगा वो ना जाने किस से डर कर भाग रहा था!नाम पता लगा उसका “शेर सिंह”!