बस सलिके से सी लेते वेदना को बेतरतीब कोलाहल में भी बतियाते रहते चीं चीं हड़बड़ाना उन्हें नही आया
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बस सलिके से सी लेते वेदना को बेतरतीब कोलाहल में भी बतियाते रहते चीं चीं हड़बड़ाना उन्हें नही आया-सुरिन्दर रत्ती
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पक्षीपने ' और मनुष्यपना अच्छे शब्द लगे.कविता का विषय बहुत ही अच्छा लगा........... बतियाते रहते चीं चीं हड़बड़ाना उन्हें नही आया
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तभी, महान महत्व के उस क्षण में, जब सब कुछ खो गया था, वह याद सलाह हड़बड़ाना एक परामर्शदाता का टुकड़ा उसे एक लंबे समय दिया था पहले: सत्ता रात तक विजय प्राप्त की है.
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वे सपने में नहीं देखते मालिक होने के गुमान और अरमान युद्ध और शान्ति के फतवे नहीं सहेजते आत्मदाह के साथ दुनिया नष्ट करने की साजिश अपने ' पक्षीपने' से नहीं करते उजागर दबी पशुता और वह मनुष्यपना बस सलिके से सी लेते वेदना को बेतरतीब कोलाहल में भी बतियाते रहते चीं चीं हड़बड़ाना उन्हें नही आया-हरिहर झा