| 11. | हम साफ साफ साफ कहते हैं कि हम स्वंय सेवी संस्था हैं ।
|
| 12. | क्या वैचारिक तौर पर हम स्वंय किसी चरमपंथी से कुछ कम हैं?
|
| 13. | जैसे किसी सक्रियेता की भूख के अंदर हम स्वंय शामिल हो रहे हैं।
|
| 14. | दूसरे के क्रोध की शांति हम स्वंय शान्त होकर ही कर सकते हैं।
|
| 15. | तमाम ध्वनियों के मध्य भी हम स्वंय के कितने पास होते हैं.
|
| 16. | -> हमारे अपने अनुभवों के संसार में केवल हम स्वंय जीते हैं.
|
| 17. | व्यकिगत अहं चेतना ही वह सुदृढ़ दिवार है जिसमें हम स्वंय को बंद कर लेते है।
|
| 18. | इस प्रकार हम स्वंय को पहचानें और पूर्ण आस्था व र्इश्वर विश्वास के साथ कर्मपथ पर बढ़ें।
|
| 19. | जब तक हम स्वंय अपने स्तर पर एथिक्स फोलो नहीं करेगें कोई दुसरा पहल नहीं करने वाला..
|
| 20. | इस जिक्र (पवित्र कुरआन) को हमने ही उतारा हैं और हम स्वंय उसके रक्षक हैं।
|