मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की बैठक में ये स्पष्ट किया गया कि पश्चिम बंगाल में हर सम्भव प्रयास करना चाहिए कि जिन लोगों को टी. बी है खासकर कि दृग-रेसिस्तंत टी. बी या ऐसी टी. बी जिसपर अधिकांश दवा कारगर नही रहती, उनको चिन्हित करना जरुरी है, उनके लिए हर सम्भव इलाज उपलब्ध करना जरुरी है, और इसके लिए आई धनराशी को इस्तिमाल करना चाहिए।