एक लंबी देरी के बाद-दो साल से अधिक-उन्होंने अंततः ऐसा किया और 26 नवम्बर, 1864 को एलिस को ऐलिसेज़ एडवेंचर्स अंडर ग्राउंड की हस्तलिखित पांडुलिपि दी, जिसमें खुद डॉडसन के बनाए चित्र थे.
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एक लंबी देरी के बाद-दो साल से अधिक-उन्होंने अंततः ऐसा किया और 26 नवम्बर, 1864 को एलिस को ऐलिसेज़ एडवेंचर्स अंडर ग्राउंड की हस्तलिखित पांडुलिपि दी, जिसमें खुद डॉडसन के बनाए चित्र थे.
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18 दिसम्बर 1927 को जब उनकी माँ उनसे मिलने आयीं तो बिस्मिल ने अपनी जीवनी की हस्तलिखित पांडुलिपि माँ द्वारा लाये गये खाने के बक्से (टिफिन) में छिपाकर रख दी, बाद में श्री भगवती चरण वर्मा जी ने इन पन्नों को पुस्तक रूप में छपवाया।