कुछ ही वर्षों में हम इतने नामी गिरामी हो गये कि तमाम संपादक गण तो हमारा हस्त लेख भी पहचानने लगे और फिर लिफाफा खोलने की भी ज़हमत नहीं करते थे, इधर हमारी डाक पंहुची और उधर उन्होंने अगली ही डाक से हमारी ‘ रचना ' बिना पढ़े और हमारा लिफाफा बिना खोले सट्ट से हमें वापस भेजा।
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कुछ ही वर्षों में हम इतने नामी गिरामी हो गये कि तमाम संपादक गण तो हमारा हस्त लेख भी पहचानने लगे और फिर लिफाफा खोलने की भी ज़हमत भगवान के संदेशवाहक करीब हफ़्ता-दस दिन पहले की बात है, खाना-वाना खा कर हम बैठे बच्चों से बतिया रहे थे कि अचानक मोबाइल फोन से “टु टु टु टू टू टु टु टु टु” की परिचित आवाज़ आई।
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डाक्टर ने अपने बयान में दिनांक 23 / 5/05 को मोती लाल नेहरू चिकित्सालय में चिकित्साधिकारी के पद पर तैनात रहते हुए का0 681 राम प्रसाद यादव तथा का0 172 के0 के0 तिवारी द्वारा मृतक उक्त का शव सील सर्वमोहर दुरूस्त हालत में प्राप्त कराये जाने पर दि0 23/5/05 को ही समय 5ः15 पी0 एम0 पर मृतक का शव विच्छेदन कर आख्या अपने हस्त लेख व हस्ताक्षर में तैयार करना साबित किया गया है जो प्रदर्शक-17 है।