यज्ञगृह में हूहू नामक गान्धर्व को बुलाकर जो गान्धर्व वेद का गायन करवाया करता था, वह द्विज (हूचरिया) नाम से प्रसिद्ध हुआ ॥३१॥
12.
तुम्बुरु, नारद, हाहा और हूहू आदि श्रेष्ठ गंधर्व तथा किन्नर भी शिवजी की बारात की शोभा बढ़ाने के लिए वहाँ पहुँच गए थे।
13.
फिर तो हाहा, हूहू और तुम्बुरु ने महोत्कट के चरणों में प्रणाम किया और वे महर्षि कश्यप-प्रदत्त अन्नादि को प्रेमपूर्वक ग्रहण करने लगे।
14.
इन बाड़ों में बिजली दौड़ती थी और इतना हाई वोल्ट हुआ करता था कि इनसे ' हूहू ' की भयावह आवाज़ आती थी.
15.
तुम्बुरु, नारद, हाहा और हूहू आदि श्रेष्ठ गंधर्व तथा किन्नर भी शिवजी की बारात की शोभा बढ़ाने के लिए वहाँ पहुँच गए थे।
16.
कौन सी दोस्ती? कौन क्लास मेट? इसके बाद फिर हाहा हूहू शुरू हुई तो फोन रखने के बाद भी बंद नहीं हुई थी।
17.
जब भी मिलते, हंसी मजाक और हाहा हूहू करते! उसने एक दिन धीरे से कहा-÷÷ रघुनाथ, मुझे आश्चर्य है कि इतनी सी बात तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आयी?
18.
गंधर्वों में तुम्बुरू, पर्वत, शैलूष, विश्वावसु, हाहा, हूहू, चित्रसेन तथा अनेक विद्याधर आदि भी अपने दिव्य गीतों द्वारा महाराज वैश्रवण की महिमा का गान करते रहते हैं।
19.
संगीतविशारद हाहा, हूहू और तुम्बरू नामक गन्धर्व पीतांबर धारण किये, गोपीचन्दन का तिलक लगाये, वीणापुर मधुर स्वरों में हरिगुण गाते कैलाश की यात्रा करते हुए महर्षि कश्यप के आश्रम पर पहुंचे।
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संगीतविशारद हाहा, हूहू और तुम्बरू नामक गन्धर्व पीतांबर धारण किये, गोपीचन्दन का तिलक लगाये, वीणापुर मधुर स्वरों में हरिगुण गाते कैलाश की यात्रा करते हुए महर्षि कश्यप के आश्रम पर पहुंचे।