3. अर्जुन की छाल का चूर्ण 5ग्राम की मात्रा सुबह एवं 5ग्राम की मात्रा शाम को सोते समय लगातार लेने से ब्लडप्रेशर नार्मल होता है एवं हृदय से सम्बन्धित बीमारियों में पूर्ण लाभ मिलता है, यहाँ तक कि डॉक्टर ने अगर हृदय का ऑपरेशन भी बताया हो, तो उससे भी बचा जा सकता है।
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हृदय से सम्बन्धित लक्षण:-रोगी जब बैठा रहता है तो उसके हृदय में दर्द होता है तथा हृदय की गति अनियमित हो जाती है, जब रोग व्यक्ति हिलता-डुलता है तो उसे कुछ आराम मिलता है, हृदय में इस प्रकार के रोग होने के कारण यकृत (जिगर) बढ़ने लगता है।
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जैसे-मानसिक विक्षिप्तता के लिये राग बहार, बागेश्री, बिहाग, धानी, श्वास के रोगों एवं दमा-अस्थमा में राग दरबारी मालकौंस, भैरव, श्री, केदार, भैरवी, मधुमेह के लिये राग जौनपुरी, जयजयवन्ती, नेत्र सम्बन्धी रोगों में राग पटदीप, भीमपलासी, मुल्तानी व पटमंजरी, हृदय से सम्बन्धित रोगों में राग दरबारी, पित्त्ा, सिरदर्द व जोड़ों के दर्द में राग सारंग, सोहनी, तोड़ी, यमन कल्याण व नट भैरव, पेट के रोगों में रागेश्री एवं पंचम अनिद्रा राग में राग पूरिया निलाम्बरी, काफी, खमाज रक्तचाप से सम्बन्धित रोगों में हिंडोल, कौशिक कान्हरा,