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हेतु या इनाम उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
11. " आया अभियुक्त विरदाराम ने दिनांक 2.6.2004 को मुख्य आरक्षक संख्या 621 पुलिस थाना, जाडन के पद पर रहते हुये परिवादी खीमपुरी, निवासी जाडन से उसको गिरफतार नहीं करने की एवज में एक हजार रूपये रिश्वत राशि की मांग की अन्यथा उसे गिरफतार करने की धमकी देकर दिनांक 5.11.2004 को रिश्वत राशि की मांग कर हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से दिनांक 9.11.2004 को एक हजार रूपये प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण किया?

12. " आया अभियुक्त रूपाराम ने दिनांक 28-9-2005 को पुलिस थाना बागोडा में मुख्य आरक्षी के पद पर रहते हुये परिवादी अणदाराम से आपराधिक प्रकरण संख्या 22/2006-7-राज्य विरूद्ध रूपाराम उसके भाई जबराराम एवं साला भावाराम के विरूद्ध दर्ज अभियोग सं65/2005 से उन्हें निकलवाने के लिये हेतु या इनाम के रूप में वैध पारिश्रमिक से भिन्न चार हजार रूपये रिश्वत राशि की मांग की और दिनांक 30-9-2005 को इस प्रयोजनार्थ एक-एक हजार रूपये रिश्वत राशि प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण किया?

13.इस प्रकार से अभिलेख पर उपलब्ध अभियोजन पक्ष की समग्र साक्ष्य, मामला के घटनाक्रम, साक्षियों व अभियुक्त के आचरण एवं परिस्थितियों को देखने से यहां सिर्फ यही निष्कर्ष निकलता है कि अभियुक्त मगाराम ने परिवादी मूलाराम के खेत की नेखमबन्दी करने के लिये उससे दिनाँक 20.07.2004 को रिश्वत के रूप में तीन सौ रूपये हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त किए, वहां इसके विरूद्ध अधिनियम की धारा 7 के अपराध का आरोप सन्देह से परे सिद्ध होता है।

14.न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न है कि क्या प्रकरण के अभियुक्त चौथाराम ने दिनांक 1. 10.2002 को राजस्व पटवारी, चेतरोड़ी (तहसील शिव, जिला बाड़मर) के पद पर लोक सेवक की हैसियत से कार्यरत रहते हुये परिवादी रूपाराम सुथार से उसके खेत का म्यूटेशन भरने व पासबुक देने की एवज में भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से हेतु या इनाम के रूप में चार सौ रूपये की मांग कर राशि प्राप्त कर अपने पद का दुरूपयोग करते हुये आपराधिक अवचार किया?

15.इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न यह हैं कि क्या प्रकरण के अभियुक्त बाबूसिंह ने हलका पटवारी कालेरी के लोक सेवक के पद पर रहते हुये अभियोगी जवानाराम एवं मोहबताराम से उनके खेत का म्यूटेशन भरने एवं खसरा संख्या 465 एवं 468 की जमाबन्दी की नकले देने की एवज में हेतु या इनाम के रूप में वैध पारिश्रमिक से भिन्न 1500 /-रूपये परितोषण की मांग कर दिनांक 21.4.2002 को उनसे यह राशि भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से प्राप्त कर आपराधिक अवचार किया?

16.इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु यह प्रश्न यह है कि क्या प्रकरण के अभियुक्त चन्दाराम ने सहायक अभियन्ता, खान एवं भू-विज्ञान विभाग, बाड़मर में सरकापार पर नाकेदार के रूप में लोक सेवक की आपराधिक प्रकरण सं0 76/2005 राज्य विरूद्ध चन्दाराम-8-हैसियत से कार्य करते हुये परिवादी लाभुराम माली से प्रति टेªक्टर ट्रिप के सौ रूपये रिश्वत की मांग कर दिनांक 1.7.2004 को इस प्रयोजनार्थ हेतु या इनाम के रूप में तीन हजार रूपये रिश्वत राशि भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण (अवचार) किया?

17. " आया अभियुक्त ने दिनांक 21-4-2004 को पटवारी, पटवार हल्का मंडाउ-बी, तहसील मोहनगढ-2, जिला जैसलमेर के पद पर लोकसेवक की हैसियत से पदस्थापित रहते हुये परिवादी ओमप्रकाश से उसके खेत मुरब्बा चक नम्बर 6एम 2 में 63/62 तहसील मोहनगढ-2 आया हुआ है जिसकी डुप्लीकेट पासबुक व गिरदावरी की नकल देने की एवज में पांच सौ रूपये रिश्वत राशि की मांग कर इस प्रयोजनार्थ हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से दिनांक 22-4-2004 को 450/-रूपये की रिश्वत राशि मांग कर प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण किया?

18.इस प्रकार से अभिलेख पर आई अभियोजन पक्ष की समग्र साक्ष्य, मामला के घटनाक्रम, साक्षियों एवं अभियुक्त के आचरण एवं परिस्थितियों को देखने से यहां सिर्फ यही निष्कर्ष निकलता है कि अभियुक्त पदमसिंह ने परिवादी शैलेन्द्र सोलंकी के स्थानान्तरण आदेश को रद्द करवाने के लिये उससे रिश्वत के रूप में तीन हजार रूपये मांग कर हेतु या इनाम के रूप में दो हजार रूपये रिश्वत राशि प्राप्त की, इस कारण इसके विरूद्ध उक्त अधिनियम की धारा 7 के अपराध का आरोप युक्तियुक्त सन्देह से परे सिद्ध होता है।

19.इस प्रकार से अभिलेख पर आई अभियोजन पक्ष की समग्र साक्ष्य मामला के घटनाक्रम, साक्षियों व अभियुक्त के आचरण एवं परिस्थितियों को देखने से यहां सिर्फ यही निष्कर्ष निकलता है कि अभियुक्त चौथाराम ने परिवादी रूपाराम के खेत काम्यूटेशन भरने व इसकी पास बुक जारी देने के लिये उससे दिनाँक 1.10.2002 को रिश्वत के रूप में चार सौ रूपये मांग कर हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त किए, इस कारण इसके विरूद्ध उक्त अधिनियम की धारा 7 के अपराध का आरोप सन्देह से परे सिद्ध होता है।

20.इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न यह है कि क्या प्रकरण के अभियुक्त सम्पतराज मेवाड़ा ने दिनांक 26. 10.2002 को ग्राम पंचायत, पोमावा (पंचायत समिति, सुमेरपुर जिला पाली) में ग्रामसेवक एवं पदेन सचिव के पद पर लोक सेवक की हैसियत से पदस्थापित रहते हुये परिवादी मोहनसिंह राजपुरोहित के ग्राम पुराड़ा (जिला पाली) स्थित कब्जासुद पुश्तैनी भूखण्ड का पट्टा देने की एवज में उससे हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से अपने पद का दुरूपयोग करते हुये 500/-रूपये रिश्वत के प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण कारित किया?

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