कुत्तों की पंचायत में कुतिया ने गुहार लगाई अगर सारे ये सब मेरे भाईतो में किसकी लुगाईपंचायत में एक दहाड़शेर बूढ़ा भी हो जुगाली तो कर ही सकता हेकुतिया शरमाई फिर में जंगल ही चली जातीकम से कम हनीमून तो मनातीपंचायत से फिर एक दहाडा हमारा हुक्म और तुम्हारी नाफ़रमानीइस देस में अब नहीं बहता नदियों में पानीजहरीले सापों खुद तो रेंग रहे होलोकतंत्र पर भी नजर हेपर याद रहेकालिया मर्दन भी हमारा शगल हे