According to justice and yoga god is the ultimate and almighty soul, which is free from all evils and is the creator and ruler of the world. न्याय वैषेशिक और योग दर्शनों के अनुसार ईश्वर एक परम और सर्वोच्च आत्मा है जो चैतन्य से युक्त है और विश्व का सृष्टा और शासक है।
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Timely Akbar started a holly calendar in the name of almighty god which he started on his coronation ceremony. कालांतर में अकबर ने एक नए पंचांग की रचना की जिसमे कि उसने एक ईश्वरीय संवत को आरम्भ किया जो उसके ही राज्याभिषेक के दिन से प्रारम्भ होता था।
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Instead of liberating man , they made him a slave of an almighty State run by a party under the dictatorship of the party leader . व्यक़्ति को मुक़्त करने के बजाए उन्होनें उसे उस सर्वशक़्तिमान राज़्य का गुलाम बना दिया जो उस पार्टी से शासित है जिस पर स्वंय एक तानाशाही पार्टी नेता का शासन है .
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The Hindus believe with regard to God that he is eternal , without beginning and end , acting by free will , almighty , all-wise , living , giving life , ruling , preserving ; one who in his sovereignty is unique , beyond all likeness and unlikeness , and that he does not resemble anything nor does anything resemble him . हिन्दुओं का अल्लाह के संबंध में यह विश्वास है कि वह शाश्वत है , अनादि है , अनंत है , स्वेच्छा से जो चाहे करता है , सर्वसक्तिमान है , सर्वज्ञ है , जीवंत है , जीवनदात् है , नियंता है , रक्षक हैः वह जिसकी प्रभुसत्ता अनन्य है , वह सदृशता से परे हैः न वह किसी वस्तु से मिलता-दुलता है और न कोई वस्तु उससे मिलती है .
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The Hindus believe with regard to God that he is eternal , without beginning and end , acting by free will , almighty , all-wise , living , giving life , ruling , preserving ; one who in his sovereignty is unique , beyond all likeness and unlikeness , and that he does not resemble anything nor does anything resemble him . हिन्दुओं का अल्लाह के संबंध में यह विश्वास है कि वह शाश्वत है , अनादि है , अनंत है , स्वेच्छा से जो चाहे करता है , सर्वसक्तिमान है , सर्वज्ञ है , जीवंत है , जीवनदात् है , नियंता है , रक्षक हैः वह जिसकी प्रभुसत्ता अनन्य है , वह सदृशता से परे हैः न वह किसी वस्तु से मिलता-दुलता है और न कोई वस्तु उससे मिलती है .
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He often raises the topic, and not just to Muslims. When addressing the United Nations in September, Mr. Ahmadinejad flummoxed his audience of world political leaders by concluding his address with a prayer for the Mahdi's appearance: “O mighty Lord, I pray to you to hasten the emergence of your last repository, the Promised One, that perfect and pure human being, the one that will fill this world with justice and peace.” one of our group told me that when I started to say “In the name of God the almighty and merciful,” he saw a light around me, and I was placed inside this aura. I felt it myself. I felt the atmosphere suddenly change, and for those 27 or 28 minutes, the leaders of the world did not blink. … And they were rapt. It seemed as if a hand was holding them there and had opened their eyes to receive the message from the Islamic republic. Christian Science Monitor के स्काट पीटरसन ने अपनी दर्शनीय रिपोर्टिंग में अहमदीनेजाद के व्यक्तित्व के केन्द्र में महदावियात की भूमिका और नीतियों पर इसके प्रभाव का विश्लेषण किया है. उदाहरण के लिए तेहरान का मेयर रहते हुए 2004 में अहमदीनेजाद ने नगर परिषद को महदी की तैयारी के लिए भव्य स्थान बनाने को कहा . एक वर्ष बाद राष्ट्रपति के रुप में उन्होंने राजधानी के दक्षिण जमाकरान में महदावियात से जुडी जगह पर नीले रंग की टाईल्स की मस्जिद बनाने के लिए 17 मिलियन डॉलर दिए . उन्होंने तेहरान और जमकारान के बीच एक सीधा रेल मार्ग बनवाने के लिए भी जोर डाला . कहा जाता है कि अपने संभावित मंत्रिमंडल के उन सदस्यों की सूची उनके पास है जिन्हें जमकारान मस्जिद से सटे स्थान पर रहने को कहा जाएगा ताकि एक काल्पनिक आध्यात्मिक संबंध से लाभ उठाया जा सके . उन्होंने यह विषय केवल मुसलमानों के बीच में ही नहीं उठाया है . सितंबर में संयुक्त राष्ट्रसंघ को संबोधित करते हुए अहमदीनेजाद ने अपने भाषण के अंत में विश्व के नेताओं के समक्ष महदी के प्रकट होने की प्रार्थना कर सबको बोझिल कर दिया था . “ हे सर्वशक्तिमान स्वामी मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि अपने वादे के अनुसार अंतिम बार प्रकट हों और इस मानव मात्र को पूर्ण और पवित्र करें . तुम्ही हो जो कि इस विश्व को शांति और न्याय से भर सकते हो .” न्यूयार्क से इरान लौटने के बाद अहमदीनेजाद ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में दिए गए अपने भाषण के प्रभाव का वर्णन किया . मेरे एक समूह ने मुझे बताया कि जब मैंने सर्वशक्तिमान दयावान ईश्वर कहना शुरु किया तो उसने मेरे चारों ओर एक प्रकाश देखा और मैं उस प्रकाश की परिधि में आ गया . मैंने स्वयं भी इसे अनुभव किया . मैंने अनुभव किया कि वातावरण अचानक परिवर्तित हो गया और उन 27 -28 मिनटों में दुनिया के नेता पलक भी नहीं झपक सके और पूरी तरह खो गए .ऐसा लगा मानों किसी हाथ ने उन्हें जकड़ रखा हो और उनकी आंखें खोल रखी हों ताकि वे इस्लामी गणतंत्र के संदेश को सुन सकें.