४ ० ५ पर अंकित ' द एज आफ मृच्छ्कटिका ' में इस नाटय कृति के अंक ६ में प्रयुक्त शब्द ' खेरखन ' पर विचार करते हुए लिखते हैं-उस (अंग रक्षक) ने विदेशी कबीलों के नामों की एक लम्बी सूची दी, जिसमें कई विलक्षण एवं अविख्यात नाम भी हैं और जिनके स्रोत का पता नहीं है.
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सन्न चौरासी का दौर था, बाज़ार गर्म हुआ की महिला प्रधान मंत्री की हत्या उनके अंग रक्षक ने कर दी है.दंगाईयों को कोई दींन ईमान तो होता नहीं है, लूट पाट,जोर जबरदस्ती ही उनका धर्म है.देखते देखते दंगो ने आग पकड़ ली.बदले के नाम पे मासूम परिवारों का कत्ले आम,लूट पाट शुरू हो गया.सड़क पे निकलना दूभर था,जो इंसान था उसका दिल पसीज उठता और हैवान के लिए तमाशा चारो और था……..