हमसे पिछली पीढ़ी की साक्षरता हमसे कम भले ही रही हो, हमसे कहीं ज्यादा अक़्लमंदी से जीवनयापन उन्होने किया और कर रहे हैं।
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इसके बाद वे कहते कि आगे तो आप जानते ही हैं गोया जो सब जानते हों उसे जानने और जनाने में कौन-सी अक़्लमंदी है?
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अगर इन्सान को बाबू और डायनोसोर के बीच में खड़ा कर दिया जाए और कहा जाए कि इनमें से एक की तरफ़ जाना है, तो अक़्लमंदी इसी में है कि डायनोसोर की ओर जाया जाए।
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अगर इन्सान को बाबू और डायनोसोर के बीच में खड़ा कर दिया जाए और कहा जाए कि इनमें से एक की तरफ़ जाना है, तो अक़्लमंदी इसी में है कि डायनोसोर की ओर जाया जाए।
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कुछ में ग़ौर एवं फ़िक्र और अक़्लमंदी को दीनदारी का आवश्यताओं में से बताया गया है और कुछ रिवायतों में अक़्ल को ईश्वर की आराधना और स्वर्ग पाने का साधन और सवाब एवं सज़ा का पैमाना जाना गया है।
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सामाजिक संगठन अगर इसको मुद्दा बनाकर जलसे जुलूस, धरना-प्रदर्शन करना चाहें तो उनका उत्साह तोड़ा जाए, रास्ते में रुकावटें डाली जाएं और यह सब काम इतनी अक़्लमंदी और ख़ूबसूरती के साथ हो कि जनता का ध्यान उस ओर केंद्रित ही न हो पाए।
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छात्रों को सीखने के लिए, सभी संस्कृतियों, धर्मों, परंपरा और इतिहास के एक वास्तविक सम्मान शामिल करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण में लगे हुए किया जाएगा, और दोनों एक आध्यात्मिक और बौद्धिक अक़्लमंदी से मनुष्य की पहचान को विकसित करने में सहायता प्रदान की जाएगी....
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सरकारी हिन्दी डिल्लू बापू पंडित थे बिना वैसी पढ़ाई के जीवन में एक ही श्लोक उन्होंने जाना वह भी आधा उसका भी वे अशुद्ध उच्चारण करते थे यानी `त्वमेव माता चपिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश चसखा त्वमेव ' इसके बाद वे कहते कि आगे तो आप जानते ही हैं गोया जो सब जानते हों उसे जानने और जनाने में कौन-सी अक़्लमंदी है?
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शे ' र लिखना जुर्म न सही लेकिन बेवजह शे'र लिखते रहना ऐसी अक़्लमंदी भी नही है ।"***************************मता-ए-लौहो-क़लम छिन गई तो क्या ग़म हैकि ख़ूने-दिल में डुबो ली हैं उंगलियां मैनेज़बां पे मुहर लगी है तो क्या, कि रख दी हैहर एक हल्क़-ए-ज़ंजीर में ज़बां मैने मता-ए-लौहो-क़लम = क़लम और तख्ती की पूंजी, ख़ूने-दिल =ह्र्दय रक्त,हल्क़-ए-ज़ंजीर = ज़ंजीर की हर एक कड़ी फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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हम इस बात पर ईमान रखते हैं कि ख़ुदा वन्दे आलम का झोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम हिकमत व मसलेहत (अक़्लमंदी और भलाई व हित) से खाली नहीं होता है, चाहे हम उन हितों को जानते हों या न जानते हों और इस संसार की हर छोटी बड़ी घटना ख़ुदा वन्दे आलम की युक्ति और उसी के इरादे से घटित होती है।