सुबह 9. 30 बजे अरणि मंथन के साथ यज्ञकुंड में अग्निदेवता की स्थापना की गई और करीब 250 वर्ष प्राचीन बिजासन टेकरी स्वाहाकार की मंगलध्वनि से गूंज उठी।
22.
ऋग्वेद के प्रथम सूक्त में अग्नि की प्रार्थना करते हुए विश्वामित्र के पुत्र मधुच्छन्दा कहते हैं कि मैं सर्वप्रथम अग्निदेवता की स्तुति करता हूँ, जो सभी यज्ञों के पुरोहित कहे गये हैं।
23.
ऋग्वेद के प्रथम सूक्त में अग्नि की प्रार्थना करते हुए विश्वामित्र के पुत्र मधुच्छन्दा कहते हैं कि मैं सर्वप्रथम अग्निदेवता की स्तुति करता हूँ, जो सभी यज्ञों के पुरोहित कहे गये हैं।
24.
जहाज छूटने के पहले अमजद को मालूम हो गया था कि अग्निदेवता की बलि के लिए साल में एक जहाज इस नगर में आया करता है और किसी न किसी मुसलमान को बलि चढ़ाने के लिए ले जाता है।
25.
हद हो गई मूर्खता की इस मंत्र मे यज्ञ करने वाला ब्राह्मण यह अग्निदेवता से कह रहा है की-हे अग्निदेव! आप हमे देवताओ व राजाओ का प्रिय बनाए, शूद्रो आर्यों आदी सभी दर्शको का भी प्रिय पात्र बनाए ।
26.
यमराज के लौटने पर उनकी पत्नी ने कहा-हे सूर्यपुत्र! स्वयं अग्निदेवता ही ब्राह्मण अतिथि के रूप में गृहस्थ के घरों में प्रवेश करते हैं साधुपुरुष उनका सत्कार किया करते हैं अत: आप उनके लिए जल आदि अतिथि-सत्कार की सामग्री ले जाइए।।
27.
लेकिन आगजनी की इन बढ़ती घटनाओं से इतना जरूर पता चल रहा है कि कई लोग मना रहे होंगे कि “ हे अग्निदेवता, जैसे सबका भला किये वैसे हमरा भी भला करो एकाध चैंबर वैंबर और जला दो, हाथी दफ़्तर..... खजूर दफ़्तर... समझ रहे हो न.... ”
28.
३. पूर्वजन्मोंके दुष्कृत्योंके कारण देवता तथा पितरोंका शाप हो तो उनकी बाधा दूर करने हेतु तथा उनके ऋणसे मुक्त होनेके लिए एवं कुलदेवता, इष्टदेवता, मातृदेवता, प्रजापति, विष्णु, इंद्र, वरुण, अष्टदिक्पाल, सवितादेवता, अग्निदेवता आदि देवताओंको प्रसन्न कर उनके आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु संस्कार किए जाते हैं ।
29.
जो सर्वज्ञ अग्निदेवता गर्भिणी स्त्रियों द्वारा भली प्रकार धारण किए हुए गर्भ की भांति दो अरणियों में सुरक्षित है छिपा है (तथा जो) जाग्रत है (और) हवन करने योग्य सामग्रियों से युक्त मनुष्यों द्वारा प्रतिदिन स्तुति करने योग्य (है), यही है वह (परमात्मा जिसके विषय में तुमने पूछा था) ।।
30.
अग्निदेवता के प्रकट होते ही लोग एकजुट हो उन्हें शान्त करने का प्रयास शुरू कर देते हैं साथ ही वरुण देवता का आह्वान करते हुए अग्निदेवता का प्रकोप करने के लिए उन्हें भी फोन से आमन्त्राण करते हैं लेकिन काफी देर बाद जब वरुण देवता पहुंचते हैं तब तक अग्निदेवता लोगों का अच्छा खासा नुकसान कर देते हैं और पीड़ित अपने भाग्य के कोसते हुए सिवाए रोने धोने के कुछ नहीं कर पाते।