टोले के अघन कोरवा, भीमा मुंडा, पुशन कोरवा बताते हैं िक मनरेगा हो या लाल पीला कार्ड पलामू के हर गांव की तरह यहां भी लोगों को इसके दर्शन नहीं हो पाए हैं।
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टोले के अघन कोरवा, भीमा मुंडा, पुशन कोरवा बताते हैं िक मनरेगा हो या लाल पीला कार्ड पलामू के हर गांव की तरह यहां भी लोगों को इसके दर्शन नहीं हो पाए हैं।
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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के पूर्व लोकसभा सांसद और पूर्व विधायक श्री अघन सिंह ठाकुर के आकस्मिक निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की है।
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परिणाम इस प्रकार हैं-30 मीटर में स्वर्ण अधन सिंग, रजत खेम सिंग, कांस्य भागवत, 20 मीटर में स्वर्ण भागवत, रजत अघन सिंग, कांस्य खेमसिंग, ओवरआल में स्वर्ण अघन सिंग, रजत भागवत, कांस्य खेमसिंग (सभी खिलाड़ी बिलासपुर) ।
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परिणाम इस प्रकार हैं-30 मीटर में स्वर्ण अधन सिंग, रजत खेम सिंग, कांस्य भागवत, 20 मीटर में स्वर्ण भागवत, रजत अघन सिंग, कांस्य खेमसिंग, ओवरआल में स्वर्ण अघन सिंग, रजत भागवत, कांस्य खेमसिंग (सभी खिलाड़ी बिलासपुर) ।
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ठेमा की पंच मनाबाई के नेतत्व में बांसपत्तर पंचायत के सैकड़ों ग्रामिणों ने तात्कालीन विधायक श्री अघन सिंह ठाकुर एवं वर्तमान विधायक श्रीमति सुमित्रा मारकोले, सांसद सोहन पोटाई व जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से भेंट कर ब्रम्हदेव मिश्रा द्वारा पुल निर्माण में अवरोध किये जाने की शिकायत कर चुके है ।
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हे पन्थी पथ की चिन्ता क्या? तेरी चाह है सागरमथ भूधर, उद्देश्य अमर पर पथ दुश्कर कपाल कालिक तू धारण कर बढ़ता चल फिर प्रशस्ति पथ पर जो ध्येय निरन्तर हो सम्मुख फिर अघन अनिल का कोइ हो रुख कर तू साहस, मत डर निर्झर है शक्त समर्थ तू बढ़ता चल जो राह शिला अवरुद्ध करे तू रक्त बहा और राह बना पथ को शोणित से रन्जित कर हर कन्टक को तू पुष्प बना नश्वर काया की चिन्ता क्या?
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हे पन्थी पथ की चिन्ता क्या? तेरी चाह है सागरमथ भूधर, उद्देश्य अमर पर पथ दुश्कर कपाल कालिक तू धारण कर बढ़ता चल फिर प्रशस्ति पथ पर जो ध्येय निरन्तर हो सम्मुख फिर अघन अनिल का कोइ हो रुख कर तू साहस, मत डर निर्झर है शक्त समर्थ तू बढ़ता चल जो राह शिला अवरुद्ध करे तू रक्त बहा और राह बना पथ को शोणित से रन्जित कर हर कन्टक को तू पुष्प बना नश्वर काया की चिन्ता क्या?
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हे पन्थी पथ की चिन्ता क्या? हे पन्थी पथ की चिन्ता क्या? तेरी चाह है सागरमथ भूधर, उद्देश्य अमर पर पथ दुश्कर कपाल कालिक तू धारण कर बढ़ता चल फिर प्रशस्ति पथ पर जो ध्येय निरन्तर हो सम्मुख फिर अघन अनिल का कोइ हो रुख कर तू साहस, मत डर निर्झर है शक्त समर्थ तू बढ़ता चल जो राह शिला अवरुद्ध करे तू रक्त बहा और राह बना पथ को शोणित से रन्जित कर हर कन्टक को तू पुष्प बना नश्वर काया की चिन्ता क्या?