1-भ्रष्टाचार अजमानतीय अपराध हो और हर हाल में फैसला 6 माह में हो: सबसे पहले तो यह बात समझने की जरूरत है कि भ्रष्टाचार केवल मात्र सरकारी लोगों द्वारा किया जाने वाला कुकृत्य नहीं है, बल्कि इसमें अनेक गैर-सरकारी लोग भी लिप्त रहते हैं।
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1-भ्रष्टाचार अजमानतीय अपराध हो और हर हाल में फैसला 6 माह में हो: सबसे पहले तो यह बात समझने की जरूरत है कि भ्रष्टाचार केवल मात्र सरकारी लोगों द्वारा किया जाने वाला कुकृत्य नहीं है, बल्कि इसमें अनेक गैर-सरकारी लोग भी लिप्त रहते हैं।
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यदि समाज यह समझता है कि इसे गंभीर अपराध होना चाहिए तो उस के लिए यह आवश्यक है कि छल करके किसी स्त्री के साथ किए गए यौन संसर्ग को संज्ञेय, अजमानतीय और कम से कम तीन वर्ष से अधिक अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध बनाया जाए।
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गौरतलब है कि मन्नोराम पर डीएसपी के पद पर तैनाती के दौरान कठूमर थाने मे दर्ज एक प्रकरण के परिवादी से मामले को अजमानतीय से जमानतीय मामला बनाने की एवज मे रिश्वत की राशि अपने रीडर राजेन्द्र प्रसाद तिवाड़ी व रामजी लाल के माध्यम से लेने का आरोप है।
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यदि समाज यह समझता है कि इसे गंभीर अपराध होना चाहिए तो उस के लिए यह आवश्यक है कि छल करके किसी स्त्री के साथ किए गए यौन संसर्ग को संज्ञेय, अजमानतीय और कम से कम तीन वर्ष से अधिक अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध बनाया जाए।
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गौरतलब है कि मन्नोराम पर डीएसपी के पद पर तैनाती के दौरान कठूमर थाने मे दर्ज एक प्रकरण के परिवादी से मामले को अजमानतीय से जमानतीय मामला बनाने की एवज मे रिश्वत की राशि अपने रीडर राजेन्द्र प्रसाद तिवाड़ी व रामजी लाल के माध्यम से लेने का आरोप है।
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अन्यथा केन्द्र सरकार को संसद के समक्ष भारतीय दण्ड संहिता में संशोधन का प्रस्ताव पेश करना चाहिये और भारतीय दण्ड संहिता में स्पष्ट प्रावधान किया जाये कि यदि किसी भी मामले में एफआईआर लिखने से पुलिस इनकार या टालमटोल करे तो, ऐसा करना अजमानतीय और संज्ञेय अपराध माना जायेगा।
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नई आबकारी नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए गठित एक अन्य टीम द्वारा ग्राम बोंदा के एक आरोपी को कोडातराई बाजार से गैर नम्बर प्लेट के सी. डी.डान डिलक्स मोटर सायकल से 35 पाव विदेशी मदिरा परिवहन करते पकडे जाने पर आरोपी के विरूध्द अजमानतीय प्रकरण कायम कर जेल दाखिल किया गया है।
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इसका मतलब गिरफ़्तार होने के पहले ही उसकी जमानत का आदेश दे दिया जाता है कि यदि यह संबंधित अजमानतीय अपराध में अगर गिरफ़्तार किया जाता है तो उसे जितनी जमानत का आदेश होता है उतनी जमानत गिरफ़्तार करने वाले अधिकारी के समक्ष पेश करने पर उसे जमानत पर छोड़ दिया जाता है.
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उसी धारा की उपधारा 2 में यह प्रावधान है कि अगर न्यायालय को मुकदमें के किसी भी स्तर पर यह महसुस हो कि अभियुक्त ने अजमानतीय अपराध नही किया है और उसके अपराध के संबंध में आगे भी जांच की जरुरत है तो न्यायालय अभियुक्त को जमानत पर रिहा कर सकती है ।