गुरु भी होंगे अतिचारी: ज्योतिषियों ने बताया कि गुरु इस समय यानी 7 फरवरी से मेष में अतिचारी अर्थात् तेज गति से चलने वाले हो जाएंगे।
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गुरु भी होंगे अतिचारी: ज्योतिषियों ने बताया कि गुरु इस समय यानी 7 फरवरी से मेष में अतिचारी अर्थात् तेज गति से चलने वाले हो जाएंगे।
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साथ ही वर्ष के प्रारम्भ से ही शुभ ग्रहों (बुध और गुरू) का अतिचारी होना और शनि का वक्री होना विश्व के लिए हाहाकारी समय का सूचक है।
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जब कोई ग्रह अपनी तेज गति के कारण राशि मंडल में किसी अन्य ग्रह को पीछे छोड़ आगे निकल जाता है तो उस समय उसे अतिचारी कहते हैं।
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प्रतिवादी सं0-1 अतिचारी का किसी तरह का कब्जा मकान निजाई अथवा उसके किसी अंश पर नही हुआ है और वादीगण व प्रतिवादी सं0-2 व 3 मुश्तरकन अध्यासन में है।
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हालाँकि तेज गति के ग्रह अतिचारी कहे जाते है और ये शुभता कम करते है मगर इस बार गुरु स्वराशि मीन में आ रहे है अतः शुभ फलों की अधिकता होगी।
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जब अधर्म का बोलबाला हो जाता है धर्म का नाश होने लगता है सज्जन पीडा से तडप उठते है दुर्जन अतिचारी हो जाते है तो प्रकृति अपना सन्तुलन बनाने के लिये महापुरुष को पैदा करती है।
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“” टोडरानन्द ग्रंथ का मत है कि बृहस्पति के अतिचारी होने पर सात दिन तक, वक्री होने पर बारह दिन तक और नीच राशि मकर में आने पर एक मास तक शुभ कार्य नहीं करने चाहिएं।
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और किसमें इतनी सामर्थ्य है कि अपने रक्त की प्रत्येक बूँद से नया रूप, नया जीवन पानेवाले महादैत्य को रक्तहीन कर सके-क्रोध की पराकाष्ठा! सारे ऊपरी आवरण उतार कर महाकाली दिग्वसना हो गई है, अतिचारी पशु से कैसी लाज और काहे की मर्यादा।
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“” जब बृहस्पति मकर राशि में या अतिचारी होते हैं तब बृहस्पति का अशुभ नवांश (मकर नवांश) त्यागकर विवाह किया जा सकता है क्योंकि नीच राशि में होने पर शुभ कार्यो में तो शुभ होते हैं परंतु विवाह तभी करना चाहिए जबकि बृहस्पति नीच नवांश में नहीं हों।