अतिनूतन युग के शैल सिंध तथा बलूचिस्तान में, पंजाब, कुमाऊँ तथा असम के हिमालय की पादमालाओं में और बरमा में पाए जाते हैं।
22.
शैल निर्माण की दृष्टि से हमारे देश में अतिनूतन युग के शैल अधिकांशत बालुकाश्म हैं जिनकी मोटाई लगभग 6, 000 और 9,000 फुट के बीच में है।
23.
शैल निर्माण की दृष्टि से हमारे देश में अतिनूतन युग के शैल अधिकांशत बालुकाश्म हैं जिनकी मोटाई लगभग 6, 000 और 9,000 फुट के बीच में है।
24.
इस महाकल्प का सामयिक विभाजन जीवविकास के आधार पर, सर चार्ल्स लॉयल ने 1833 ई में तीन भागों, आदिनूतन (Eocene), मध्यनूतन (Miocene) और अतिनूतन (Pliocene) में किया था।
25.
इस प्रकार आद्य महाकल्प एक “कैंब्रियन पूर्व” (Pre-cambrian), पुराजीवी महाकल्प छह 'कैंब्रियन' (Cambrian), ऑर्डोविशन, (Ordovician), सिल्यूरियन (Silurian), डिवोनी (Devonian), कार्बोनी (Carbniferous) और परमियन (Permian), मध्यजीवी महाकल्प तीन ट्राइऐसिक (Triassic), जूरैसिक (Jurassic) और क्रिटैशस (Cretaceous) और नूतनजीव महाकल्प पाँच आदिनूतन (Eocene), अल्प नूतन (Oligocene), मध्यनूतन (Miocene), अतिनूतन (Pliocene) और अत्यंत नूतन (pleistocene) कल्पों में विभाजित हैं।
26.
अ्फ्रीका की मध्यनूतन युग के आरंभ की चट्टानों और भारत की अतिनूतन (Pliocene) युग की चट्टानों से प्राप्त जीवाश्मों से ज्ञात होता है कि उस काल मेंश् अंतिम क्रिओडॉराटा जीवित थे क्रिओडॉराटा और फिसीपीडिया दानों गण के संबंध संदेहयुक्त हैं, यद्यपि दोनो के अवशेष एक ही काल की चट्टानों में मिलते हैं, जलव्य्घ्राा के जीवाश्म मध्यनूतन युग की चट्टानों में मिलते हैं जिनसे पता लगता है कि उनमें पिन्नीपीडिया गण के सभी लक्षण उपस्थित थे।