वास्तव में सरकारी अस्पतालों, जन परिवहन, बैंकों और तमाम अन्य सेवाओं के मजदूरों की दुखद हालत और अतिशोषण की हालतों से यह ज़ाहिर होता है कि जनता को मुहैया करायी जा रही सेवाओं के प्रत्येक अधिकारियों की कितनी चिंता है।
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मजदूर बतौर हमारे मूल अधिकारों, जिनमें नये उद्योगों में यूनियन बनाने के अधिकार, काम के घंटों को सीमित करने का अधिकार, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, आदि शामिल हैं, इन पर हमले करके यह अतिशोषण किया जा रहा है।
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कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के वरिष्ठ कामरेड ने सभा को संबोधित करते हुये कहा कि देश का पूंजीपति वर्ग मजदूर वर्ग का अतिशोषण करके, देश में ही नहीं, बल्कि यूरोप और अफ्रीका के देशों में भी बड़ी-बड़ी भूमि और कंपनियां खरीद रहा है।
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मौजूदे भ्रष्ट राज्य और अतिशोषण की व्यवस्था से जनता में इतना गुस्सा और नफरत थी कि जब सरकार ने लोकपाल बिल पर सलाह की प्रक्रिया शुरू की तो एक इतना विशाल, सच्चे मायने में जनआंदोलन उभर आया, जिसकी सरकार को उम्मीद न थी।
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हमें मजदूरों के काम की हालतों के मानदंडों के भूमंडलीकरण के लिये संघर्ष करना होगा, ताकि सभी देशों में मजदूरों की समान काम की हालतें हों और पूंजीपति व साम्राज्यवादी मजदूरों की हालतों में अंतर का फायदा उठाकर, इस या उस देश में, मजदूरों के इस या उस तबके का अतिशोषण न कर सकें।
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ऐसे समय पर, जब सारी दुनिया में दसों-लाखों महिलायें सड़कों पर निकलकर अपने अधिकारों के लिये संघर्ष कर रही हैं, साम्राज्यवादी जंग, अतिशोषण और लूट, सब तरफा हिंसा और आतंक के वर्तमान रास्ते के खिलाफ़ संघर्ष कर रहीं है, तो हम आगे के रास्ते पर चर्चा करने के लिये यहां इकट्ठे हुये हैं।