हमने उसकी सींकवाली डलिया देखी जो ऊन के गोलों से भरी थी, अधबना स् वेटर, उँगली में पहननेवाली कैप, सुई, कैंची, भावनाओं का ज् वार उठा और हम डूब गये।
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~~~गगन चूमने को आतुर थायह अधबना मकानसहसा धराशायी हो गयाआश्रय देने को आतुर थापलांश मे आततायी हो गयाहम भी तो आदी हैंढहन देखने कोहर बार हम बनाते हैंएक नई लंकालंकादहन देखने कोहमारी आँखें तलाशती हैंबिखरी हुई रक्ताभ ईटेंमांस के लोथड़े और रक्त की छीटेंआज के इस
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~~~गगन चूमने को आतुर थायह अधबना मकानसहसा धराशायी हो गयाआश्रय देने को आतुर थापलांश मे आततायी हो गयाहम भी तो आदी हैंढहन देखने कोहर बार हम बनाते हैंएक नई लंकालंकादहन देखने कोहमारी आँखें तलाशती हैंबिखरी हुई रक्ताभ ईटेंमांस के लोथड़े और रक्त की छीटेंआज के इस...
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तुमने कहा-रूको, मत जाओ मैनें समझा-रूको मत, जाओ और मैं चुपचाप चला आया था-उस दिन बिना किसी शोर बिना किसी तूफान कितना भयानक ज़लज़ला आया था-उस दिन काश! तुमने देखा होता चट्टान का खिसकना काश! तुमने भी देखा होता वह मंजर जब एक मकान ढहा था अधबना औ...
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तुमने कहा-रूको, मत जाओ मैनें समझा-रूको मत, जाओ और मैं चुपचाप चला आया था-उस दिन बिना किसी शोर बिना किसी तूफान कितना भयानक ज़लज़ला आया था-उस दिन काश! तुमने देखा होता चट्टान का खिसकना काश! तुमने भी देखा होता वह मंजर जब एक मकान ढहा था अधबना औ
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और मामला रफा दफा. लेकिन क्या हुआ उन मांगों का जिनके लिए सीताराम सिंह ने जान दी? आठ साल से ठूँठ खड़े तारों पर बिजली के तार दौड़े या नहीं? वह अधबना अस्पताल पूरा बना या नही? क्या डाक्टर साहब वहां आने लगे और मास्टर साहब स्कूल में पढाने लगे? आपके ये सवाल मैथिली शरण गुप्त वाले अबोध राहुल की “ माँ कह एक कहानी …… ” जैसे लगने लगते हैं.
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गगन चूमने को आतुर था यह अधबना मकान सहसा धराशायी हो गया आश्रय देने को आतुर था पलांश मे आततायी हो गया हम भी तो आदी हैं ढहन देखने को हर बार हम बनाते हैं एक नई लंका लंकादहन देखने को हमारी आँखें तलाशती हैं बिखरी हुई रक्ताभ ईटें मांस के लोथड़े और रक्त की छीटें आज के इस हादसे में किसी के मरने की खबर नहीं है बेशक ईंटों के बीच दबी हैं कुछ सस्ती चूनर;