शीर्षस्थ सत्ता के किसी निर्णय की ओर उंगली न उठे, लोग उसे अपनी नियति की भांति स्वीकार कर लें, उसके लिए राजा को अधिदैविक सत्ता का दर्जा दिया गया.
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तथा उस संकरी गुफा में बड़ी ही कठिनाई से प्रवेश कर आशुतोष भगवान भोले नाथ का दर्शन कर उनकी कृपा प्रसाद प्राप्त कर अधिभौतिक एवं अधिदैविक विपदाओं से त्राण पाते रहते है.
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अधिभौतिक, अधिदैविक एवं अधिदैहि क. यदि इन तीनो में से “ अधि ” शब्द को निष्काषित कर दिया जाय तो यह आधार या धरित्री से निकल कर व्यापक रूप ले लेता है.
24.
जन्म, मृत्यु, ज़रा, व्याधि तो दुःख है ही अलावा इसके जो तीन दुःख हैं-अधिभौति क. अधिदैविक और जो मन से उपजे हुए दुःख हैं आध्यात्मिक दुः ख.व ो सारे दुःख तीन ताप जिसे कहते हैं वो हैं.
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मनुष्य के कर्म अर्थात गर्भधारणा के समय स्त्री-पुरूष से प्राप्त “जेनीज” का संयोग और उसकी आधिभौतिक तथा अधिदैविक परिस्थिति, इन कारणों से जो भोग हमें भोगने पडते हैं, तथा बिना किसी विशेष प्रयत्न के उनकी अनिवार्यता-सिर्फ इतना ही अर्थ प्रारब्ध(भाग्य) शब्द से अपेक्षित है।
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मनुष्य के कर्म अर्थात गर्भधारणा के समय स्त्री-पुरूष से प्राप्त “ जेनीज ” का संयोग और उसकी आधिभौतिक तथा अधिदैविक परिस्थिति, इन कारणों से जो भोग हमें भोगने पडते हैं, तथा बिना किसी विशेष प्रयत्न के उनकी अनिवार्यता-सिर्फ इतना ही अर्थ प्रारब्ध (भाग्य) शब्द से अपेक्षित है।
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इस सृष्टि क्रिया को जिस नियम ने धारण कर रखा है जिस नियम से सृष्टि का संचालन और विकास प्रकृति कर रही है तथा जिस क्रिया से प्राणि क्रमश: उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच सकता है तथा जिससे उसकी अध्यात्मिक अधिदैविक और अधिभौतिक उन्नति हो सकती है, चाहे वह कठिन साध्य ही क्यों न हो …… वही धर्म है।
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जैसे प्रश्नोपनिषद में आता है की मनुष्य के अन्दर ७ २ करोड़ ७ २ लाख, १ ० हजार और १ नाडी है … ‘ करीब करीब या अबाउट ‘ वाला ज्ञान नही … ऐसे पूर्वजो की तुम संतान हो …! तो ये अधिदैविक ज्ञान है … लेकिन जिन्हों ने ये ज्ञान पाया वो ऋषी मुनियों ने भी कहा की, जिस से ये अधिदैविक ज्ञान प्रकाशित होता वो ब्रम्हज्ञान ही सर्वोपरि है..
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जैसे प्रश्नोपनिषद में आता है की मनुष्य के अन्दर ७ २ करोड़ ७ २ लाख, १ ० हजार और १ नाडी है … ‘ करीब करीब या अबाउट ‘ वाला ज्ञान नही … ऐसे पूर्वजो की तुम संतान हो …! तो ये अधिदैविक ज्ञान है … लेकिन जिन्हों ने ये ज्ञान पाया वो ऋषी मुनियों ने भी कहा की, जिस से ये अधिदैविक ज्ञान प्रकाशित होता वो ब्रम्हज्ञान ही सर्वोपरि है..