इस वृद्धि से पृथ्वी के उत्तरी ठंडे भागों में फसलों की बढ़ोतरी के लिए अनुकूल समय में वृद्धि होने से उत्पादन बढ़ेगा वहीं दूसरे गर्म इलाकों में अधिक तापमान और अनियमित वर्षा व सूखे जैसी स्थितियों में उत्पादन घटेगा।
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कम एवं अनियमित वर्षा, लगातार पड़ने वाला अकाल, तेज विकिरण की गर्मी, कभी-कभी पड़ने वाला पाला, तेज हवा, कम आर्द्रता एवं अधिक वाष्पोत्सर्जन, कमजोर मृदास्थिति, कम वानस्पतिक क्षैत्र तथा पानी की अत्याधिक कमी जैसी विशेषताएँ इस क्षैत्र की शुष्क परिस्थिति का निर्माण करती है।