अनिषेचित परिपक्व डिम्बाणुजनकोशिकाओं का क्रायोसंरक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है, उदाहरण के लिए ऐसी महिलाओं में जिनमें कीमोथेरेपी उपचार के कारण उनके द्वारा अपने डिम्बाशयी संचय खो देने की संभावना है.
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अनुसंधान के लिए स्त्री के गर्भाशय में विकसित हो रहे भ्रूण को न लेकर उसके शरीर से प्राप्त अनिषेचित डिंब को प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से निषेचित कर कल्चर माध्यम में कोशिका विभाजन हेतु अनुप्रेरित किया जाता है।
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अनुसंधान के लिए स्त्री के गर्भाशय में विकसित हो रहे भ्रूण को न लेकर उसके शरीर से प्राप्त अनिषेचित डिंब को प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से निषेचित कर कल्चर माध्यम में कोशिका विभाजन हेतु अनुप्रेरित किया जाता है।
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३) ज्यादा पैसे कमाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर आजकल मुर्गियों को भारत में निषेधित ड्रग ओक्सिटोसिन (oxytocin) का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे के मुर्गियाँ लगातार अनिषेचित (unfertilized) अण्डे देती है
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1962 मॆं यूनिसेफ ने एक पुस्तक प्रकाशित की जिसमें अंडों को लोकप्रिय बनाने के व्यवसायिक उद्देश्य से अनिषेचित (INFERTILE) अंडों को शाकाहारी अंडे (VEGETARIAN EGG) जैसा मिथ्या नाम देकर भारत के शाकाहारी समाज में भ्रम फैला दिया।
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एक बात और-इन प्रयोगों एवं उन भ्रूणों ह्य जिनकी प्रारंभिक अवस्था की कुछ कोशिकाओं से केन्द्रकों को निकाल कर अनिषेचित डिंब में प्रतिरोपित किया गया थाहृे से उत्पन्न ‘ टैडपोल ', अनुवांशिक रूप से समान थे अर्थात् एक दूसरे के क्लोन्स।
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बचपन से ही अंडे के विज्ञापन देखकर यह सोचता था की यह किस शाक की शाख पर लटकते हैं:)) *********************** अंडाप्रेमियों को मेरा एक प्रश्न यह भी होता था की क्या कोई स्त्री / पुरुष अपने वीर्य या रज को पी / खा सकता है क्या?????? अंडा निषेचित हो या अनिषेचित उसमें भी मुर्गे-मुर्गी के रज-वीर्य तो रहते ही है.................
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1971 में मिशिगन यूनिवर्सिटी (अमेरिका) के वैज्ञानिक डॉ 0 फिलिप जे 0 स्केम्बेल ने ' पॉलट्री फीड्स एंड न्युट्रीन ' नामक पुस्तक में यह सिद्ध किया कि ” संसार का कोई भी अंडा निर्जीव नहीं होता, फिर चाहे वह निषेचित (सेने योग्य) हो या अनिषेचित, अनिषेचित अंडे में भी जीवन होता है, वह एक स्वतंत्र जीव होता है।
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1971 में मिशिगन यूनिवर्सिटी (अमेरिका) के वैज्ञानिक डॉ 0 फिलिप जे 0 स्केम्बेल ने ' पॉलट्री फीड्स एंड न्युट्रीन ' नामक पुस्तक में यह सिद्ध किया कि ” संसार का कोई भी अंडा निर्जीव नहीं होता, फिर चाहे वह निषेचित (सेने योग्य) हो या अनिषेचित, अनिषेचित अंडे में भी जीवन होता है, वह एक स्वतंत्र जीव होता है।
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कुछ लोगों को यह ताज्जुब लगता है बिना नर के मादा अंडे नहीं दे सकती-लोग भूल जाते हैं कि फ़ार्म के मुर्गी के अंडे बिना नरों के साहचर्य के ही निअकलते हैं-हाँ निषेचन के लिए नर का साथ रहना जरूरी है-अन्यथा मादा में अनिषेचित अंडे का अविकास सहज तौर पर होता है और समयानुसार उनके अंडे बाहर आ ही जायेगें-वे निषेचित हों या अनिषेचित..