जिनको आदत है सोने की उपवन की अनुकूल हवा में उनका अस्थिशेष भी उड जाता है बनकर धूल हवा में लेकिन जो संघर्षों का सुख सिरहाने रखकर सोते हैं युग के अंगडाई लेने पर वे ही पैगम्बर होते हैं जो अपने को बीज बनाकर मिट्टी में मिलना सीखे हैं सदियों तक उनके सांचे में धलते हैं व्यवहार चमन के ऐसे नहीं जागकर बैठो......
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अतएव जब तुम नौका में सवार होकर अनुकूल हवा पर प्रसन्न, और ख़ुशी के साथ सफ़र कर रहे होते हो और फिर अचानक प्रतिकूल हवा (तूफ़ान) का ज़ोर होता है और हर ओर से मौजों के थपेड़े लगते हैं उस समय सब अपने दीन-धर्म को अल्लाह के लिए ख़ालिस (एकाग्र) करके उससे दुआएँ माँगते हैं 1 कि ‘‘ अगर तूने हम को इस बला से निकाल दिया तो हम शुक्रगुज़ार बन्दे बनेंगे।
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100 मीटर ओलंपिक फाइनल में, बोल्ट ने प्रतिक्रिया समय 0.165 सेकेंड के साथ 9.69 सेकेंड (अधिकारिक 9.683) में दौड़ जीतकर नई जमीन तैयार की.[62] यह उनके अपने ही विश्व रिकार्ड में सुधार था और वे दूसरे स्थान पर आये रिचर्ड थाम्पसन से काफी आगे थे, जिन्होंने 9.89 सेकेंड में दौड़ पूरी की.[63] यह रिकार्ड अनुकूल हवा के बिना (+0.0 मी/से) तो बना ही, जीत हासिल करने से पहले ही जश्न मनाने की मानसिकता की वजह से वे थोड़े धीमे भी दिखे और उनके जूते का फीता भी खुल गया था.