इस प्रकार प्रपत्रीय साक्ष्य के आधार पर यह तथ्य सिद्ध है कि राजेन्द्र सिंह और सुरेन्द्र सिंह एक ही व्यक्ति हैं और जो अनुज्ञप्ति पत्र है वह राजेन्द्र सिंह उर्फ सुरेन्द्र सिंह का है और वह घटना की तिथि को वैध और प्रभावी था।
22.
दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन वैध प्रपत्रों के साथ वैध और प्रभावी अनुज्ञप्ति पत्र धारक चालक द्वारा चलाया जा रहा था और बीमा पॉलिसी की किसी शर्त का उल्लघंन वाहन चालक / वाहन स्वामी द्वारा नहीं किया जा रहा था, इसलिये वर्तमान प्रकरण में विपक्षी संख्या-1 श्रीमती मुन्नी देवी प्रतिकर धनराशि देने के लिये उत्तरदायी नहीं है।
23.
यद्यपि सूची सबूत 10 ग से वाहन स्वामी द्वारा अपने वाहन से सम्बन्धित 6 कागज दाखिल किये गये हैं जिनमें पंजीयन प्रमाण पत्र, बीमा कवर नोट, परमिट, अस्थायी परमिट तथा टैक्स भुगतान रसीद हैं, परन्तु प्रश्नगत वाहन के वाहन चालक का वैध और प्रभावी अनुज्ञप्ति पत्र सम्बन्धी कोई भी प्रमाण पत्र वाहन स्वामी द्वारा दाखिल नहीं किया गया है।
24.
यह भी कथन किया गया कि दुघर्टना के समय प्रश्नगत वाहन को जिस व्यक्ति के द्वारा चलाया जा रहा था उसके पास विधि अनुरूप कोई विधिक अनुज्ञप्ति पत्र उक्त प्रकार के वाहन को चलाने का सक्षम अधिकारी द्वारा प्रदत्त नहीं किया गया था जिस कारण विपक्षी बीमा कम्पनी पर तथाकथित दुर्घटना के सम्बन्ध में कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है।
25.
उक्त अनुज्ञप्ति पत्र दिनांक 22. 2.2008 को सूची सबूत 25 ग से दाखिल किया गया था जिसका पूर्ण ज्ञान बीमा कम्पनी को था, परन्तु बीमा कम्पनी की तरफ से कोई दस्तावेजी या मौखिक साक्ष्य पत्रावली पर पेश नहीं की गई है जिससे यह परिलक्षित हो कि दुर्घटना के दिन प्रश्नगत वाहन के चालक/स्वामी के पास वैध और प्रभावी अनुज्ञप्ति पत्र उपलब्ध नहीं था।
26.
उक्त अनुज्ञप्ति पत्र दिनांक 22. 2.2008 को सूची सबूत 25 ग से दाखिल किया गया था जिसका पूर्ण ज्ञान बीमा कम्पनी को था, परन्तु बीमा कम्पनी की तरफ से कोई दस्तावेजी या मौखिक साक्ष्य पत्रावली पर पेश नहीं की गई है जिससे यह परिलक्षित हो कि दुर्घटना के दिन प्रश्नगत वाहन के चालक/स्वामी के पास वैध और प्रभावी अनुज्ञप्ति पत्र उपलब्ध नहीं था।
27.
वादी द्वारा अपने वादपत्र के प्रस्तर-10 में यह कथन किया गया है कि वाद कारण दिनांक 14-8-90 को लिखत अनुज्ञप्ति पत्र (लाईसेन्स डीड) द्वारा कर्मचारी भवन के भाग को दौरान सेवाकाल दिये जाने तथा दिनांक 17-7-97 को उसकी सेवा समाप्ति पर भी वादी को कब्जा न दिये जाने से वादी को वाद कारण हासिल है तथा अनुज्ञप्तिपत्र में प्रश्नगत भवन किस जगह स्थित है नहीं लिखा गया है।
28.
बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा बहस करते हुये यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत वाहन के चालक का चालन अनुज्ञप्ति वैध नहीं था क्योंकि घटना के समय प्रश्नगत वाहन के चालक के रूप में राजेन्द्र सिंह मेहता को दिखाया गया है और जो अनुज्ञप्ति पत्र पेश किया गया है वह राजेन्द्र सिंह मेहता का नहीं बल्कि सुरेन्द्र सिंह मेहता का है जो सम्भवतः मृतक राजेन्द्र सिंह का भाई सुरेन्द्र सिंह है।
29.
निगरानीकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मेरा ध्यान अधीनस्थ न्यायालय की पत्रावली के वादपत्र के प्रस्तर-10 की ओर आकृष्ट किया गया एवं तर्क दिया गया कि उत्तरदाता / वादी द्वारा वादपत्र का कारण दिनांक 14-11-1998 की लिखित अनुज्ञप्ति पत्र द्वारा कर्मचारी सेवा के भाग को दौरान सेवाकाल दिये जाने तथा दिनांक दिनांक 17-7-97 को उसकी सेवा समाप्ति पर भी वादी को कब्जा न दिये जाने से वादी को वाद कारण हासिल है तथा वाद स्वत्व के आधार पर प्रस्तुत किया गया है।